सिवनी हवाला कांड: शिकायतकर्ता ने पेश किए पुलिस प्रताड़ना के सबूत

जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने आदेश दिया कि पुलिस जहां-जहां शिकायतकर्ता को लेकर गई थी, उन स्थानों के सीसीटीवी फुटेज एकत्र कर सुरक्षित रखे जाएं। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि शिकायतकर्ता को पुलिस सुरक्षा में उसके घर भेजा जाए।
सिवनी पुलिस के द्वारा हवाला लूटकांड के शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट के उपस्थित होकर बताया कि पुलिस ने उसे मानसिक और शारीरिक तौर पर प्रताड़ित किया। आरोप को सिद्ध करने के लिए शिकायतकर्ता ने शारीरिक चोट के फोटोग्राफ भी पेश किए। हाईकोर्ट जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता को जिन स्थानों में पुलिस ने रखा था वहां के सीसीटीवी फुटेज एकत्र कर उन्हें सुरक्षित रखा जाए। शिकायतकर्ता को पुलिस सुरक्षा में उसके घर भेजा जाए।
याचिकाकर्ता जालना निवासी गंगा बाई परमार की तरफ से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि सिवनी पुलिस उसके पति सोहनलाल परमार को अवैध रूप से बंधकर बनाकर रखे हुए हैं। उसके पति सोहनलाल की शिकायत पर ही सिवनी हवाला कांड का मामला उजागर हुआ था। पुलिस ने उसे 10 अक्तूबर को गिरफ्तार किया था और 12 तारीख को जमानत पर छोड़ दिया था। जमानत पर छूटने के बाद पति अपने घर जालना आया था। उसी रात जालना पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर पुनः सिवनी पुलिस को सौंप दिया। इसके बाद से सिवनी पुलिस उसके पति को बंधक बनाकर रखे हुए हैं।
याचिकाकर्ता के तरफ से तर्क दिया गया कि उसके पति की ट्रांजिट रिमांड नहीं ली गई और उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष भी पेश भी नहीं किया गया। सरकार की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया था कि शिकायतकर्ता पुलिस अभिरक्षा में नहीं है। युगलपीठ ने गत दिवस याचिका की सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा था कि शिकायतकर्ता पुलिस अभिरक्षा में नहीं है तो वह व्यक्तिगत हाईकोर्ट में उपस्थित हो। अभिरक्षा में है तो पुलिस उसे 24 घंटों में न्यायालय के समक्ष पेश करें। याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता व्यक्तिगत रूप से स्वयं युगलपीठ ने समझ उपस्थित हुआ। उसने बताया कि पुलिस ने उसे होटल तथा अन्य स्थानों में रखकर उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। उसके साथ मारपीट की गई थी और शारीरिक चोट के फोटोग्राफ भी पेश किए। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका का निराकरण करते हुए उक्त आदेश जारी किये। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता श्रेयस दुबे ने पैरवी की।