सिर्फ ‘मुफ्त खाने’ के लिए डेट पर जा रहे Gen Z, प्यार पर भारी पड़ रहा पॉकेट का प्रेशर

एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, हर तीन में से एक Gen Z सिर्फ मुफ्त खाने के लिए डेट पर जाता है। जी हां, ये आंकड़ा भले ही किसी मजाक की तरह लगे, लेकिन यह बताता है कि किस तरह पैसों की टेंशन अब लोगों के निजी रिश्तों में भी झलकने लगी है। बढ़ता किराया, नौकरी की इनसिक्योरिटी और लोन का दबाव- इन सबके बीच अब रिश्तों पर भी आर्थिक असर साफ दिखने लगा है।
सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हैं, जहां लोग खुलकर बताते हैं कि वे डेट पर इसलिए गए क्योंकि घर में खाने को कुछ नहीं था या खुद खाना बनाने का मन नहीं था।
जी हां, नई पीढ़ी यानी Gen Z के लिए प्यार अब सिर्फ फीलिंग्स का खेल नहीं रहा, बल्कि यह सीधे जेब से जुड़ा मामला बन गया है (Free Meal Dating Trend)। बढ़ती महंगाई, नौकरी की असुरक्षा और खर्चों के बोझ ने रोमांस के रंग को भी थोड़ा फीका कर दिया है। आइए, विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।
प्यार में तीसरा पहिया बन चुका है ‘पैसा’
जहां पहले डेटिंग का मतलब होता था किसी खास के साथ अच्छा समय बिताना, वहीं अब इसमें बजट की गणना भी शामिल हो गई है। हालिया सर्वे ‘The Cuffing Economy Report’ में सामने आया कि 51% अमेरिकन अब आर्थिक हालात के कारण कम डेट पर जा रहे हैं और Gen Z में यह आंकड़ा 58% तक पहुंच गया है।
सिर्फ इतना ही नहीं, 44% Gen Z युवाओं का कहना है कि वे सिर्फ उसी व्यक्ति को डेट करेंगे जो उनसे ज्यादा कमाता हो, जबकि एक तिहाई लोग यह भी मानते हैं कि पैसों के कारण उनका रिश्ता टूट चुका है।
यह आंकड़े बताते हैं कि आज के समय में प्यार और पैसा एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। जब तक आर्थिक स्थिरता नहीं होती, रिश्ते भी अस्थिर महसूस होते हैं (Modern Love Financial Aspects)। प्यार भले आंखों से हो, लेकिन जेब से जुड़ी सच्चाई से कोई बच नहीं सकता।
31% Gen Z कर रहे ‘फ्री मील डेटिंग’
अब यह सवाल भी नया नहीं रहा कि “पहली डेट का बिल कौन भरेगा?” जहां पहले किसी को इंप्रेस करने के लिए महंगी डेट पर जाना आम बात थी, वहीं अब 47% लोग मानते हैं कि पहली डेट पर 50 से 100 डॉलर तक खर्च करना ही ‘परफेक्ट बैलेंस’ है। यानी अब दिखावे से ज्यादा अहम है समझदारी।
लेकिन एक दिलचस्प बात यह भी सामने आई कि 26% लोग सिर्फ फ्री खाने के लिए डेट पर जाते हैं, और इनमें Gen Z के 31% युवा शामिल हैं। पढ़ने में भले मजाक लगे, पर यह आज की सच्चाई है कि कई युवा डेटिंग को एक ‘किफायती रास्ता’ मानने लगे हैं, जहां एक शाम का आउटिंग भी थोड़ा-सा आर्थिक राहत दे जाती है।
बदल रहा है मॉडर्न लव का एजेंडा
पहले प्यार में पैसों की बात करना असहज माना जाता था, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। सर्वे के अनुसार, 37% लोग मानते हैं कि सैलरी शेयर करने का सही वक्त वो है जब रिश्ता ‘एक्सक्लूसिव’ हो जाए, यानी अब “हम दोनों हैं क्या?” के साथ-साथ “तुम कितना कमाते हो?” भी बातचीत का हिस्सा बन गया है।
इसके अलावा, 54% कपल अपनी फाइनेंस को अलग-अलग रखते हैं, यानी जॉइंट अकाउंट के बजाय वे आर्थिक स्वतंत्रता को तरजीह दे रहे हैं। यह नया चलन बताता है कि आज की पीढ़ी प्यार में भी अपनी पहचान और स्वतंत्रता को खोना नहीं चाहती।
प्यार में ‘आजादी’ जरूरी
नई पीढ़ी के लिए रिश्ते अब बराबरी और सम्मान पर आधारित हैं। “एक-दूसरे का सहारा बनो, पर एक-दूसरे पर निर्भर मत बनो” – यही नया मंत्र है। पैसे की पारदर्शिता और स्वतंत्र वित्तीय निर्णय अब रिश्तों की मजबूती का आधार बन चुके हैं।
नए जमाने के रिश्तों का कड़वा सच
हर रिश्ता तभी फलता-फूलता है जब दोनों पार्टनर न सिर्फ भावनात्मक रूप से, बल्कि आर्थिक रूप से भी सुरक्षित महसूस करें। यही कारण है कि आज के युवाओं के लिए वित्तीय समझ और जिम्मेदारी, रोमांस जितनी ही अहम बन चुकी है।
प्यार अब सिर्फ दिल का नहीं, दिमाग और बजट का भी खेल है। शायद यही वजह है कि Gen Z की इस ‘Cuffing Economy’ में, जो प्यार और पैसों के बीच संतुलन बना लेता है, वही असल विजेता है।





