सिरोही: माउंट आबू के सालगांव बांध निर्माण को मिली मंजूरी

माउंट आबू की बहुप्रतीक्षित सालगांव बांध परियोजना को वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद निर्माण की राह साफ हो गई है। सांसद लुंबाराम चौधरी के प्रयासों से यह मंजूरी मिली। बांध से क्षेत्र की पेयजल और सिंचाई समस्या दूर होगी।

लंबे इंतजार के बाद हिल स्टेशन माउंटआबू में बहुप्रतीक्षित सालगांव बांध के निर्माण की राह प्रशस्त हो गई है। इस मामले में सांसद लुंबाराम चौधरी द्वारा लगातार किए जा रहे प्रयासों के बाद वन विभाग लखनऊ से निर्माण को लेकर अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है।

गौरतलब है कि 19 नवंबर 2024 को सांसद लुंबाराम चौधरी की अध्यक्षता में सिरोही सर्किट हाउस में माउंटआबू के बहुप्रतीक्षित सालगांव बांध परियोजना की प्रगति की समीक्षा बैठक आयोजित हुई थी। इसमें वन विभाग, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, सिरोही के अधिकारियों के साथ विचार विमर्श किया गया था। इस बैठक में संबंधित अधिकारियों का कहना था कि यह फाइल जयपुर में पेंडिंग। संबंधित जगह जहां यह बांध बनवाया जाना है वह वर्तमान में वन विभाग के नाम से है। जब तक यहां वाइल्ड लाइफ क्लीरेंस एवं फॉरेस्ट क्लीयरेंस के साथ भूमि अधिग्रहण की कारवाई जयपुर और लखनऊ से क्लियर नहीं हो जाती है।

तब तक बांध का निर्माण कार्य चालू नहीं हो पाएगा। इस पर सांसद चौधरी ने तत्परता दिखाते हुए सालगांव बांध निर्माण के लिए 13 मार्च 2025 को लोकसभा में प्रश्न पूछा था। इसमें वन विभाग की कारवाई की जानकारी चाही थी। इसके बाद हरकत में आए वन विभाग द्वारा जयपुर से फाइल को लखनऊ कार्यालय में ट्रांसफर किया गया था। सांसद चौधरी ने लखनऊ अधिकारियों से संपर्क कर वाइल्ड लाइफ क्लियरेंस कारवाई को जल्द पूरा कर अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने का आग्रह किया था। इसके बाद यह अनपति प्रमाण पत्र जारी हुआ है।

1977 में बनाई गई थी सालगांव बांध परियोजना
माउंट आबू में पीने के पानी की समस्या के समाधान को लेकर साल 1977 में सालगांव बांध परियोजना का निर्माण किया गया था। उस समय इस परियोजना की लगत 27 लाख रुपये थी। बार-बार आ रही रुकावटों के चलते परियोजना का प्रस्ताव मूर्तरूप नहीं ले सका। इससे अब इसकी लगत कई गुना बढ़ गई है। सालगांव बांध बनने से माउंट आबू की पीने के पानी की समस्या का समाधान हो जाएगा। इसमें 155.56 मिलियन घन फीट भराव क्षमता का बांध बनेगा। इसके साथ-साथ बांध से रिसने वाले पानी से काशतकार भूमि की सिंचाई कर पाएंगे। वहीं, वन्यजीव अभ्यारण में रहने वाले वन्यजीवों लिए भी यह बांध कारगर साबित होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button