जानें क्यों… सिद्धू ने कैप्टन की जगह राहुल गांधी को दिया इस्तीफा

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ राजनीतिक अदावत का लंबा सिलसिला चलने के बाद आखिरकार नवजोत सिंह सिद्धू को कैबिनेट पद छोड़ना ही पड़ा. सिद्धू ने इस्तीफा देने के 35 दिन बाद रविवार को अपना फैसला सार्वजनिक किया. सिद्धू ने अपना इस्तीफा पत्र 10 जून को ही कांग्रेस अध्यक्ष को लिखा था. हैरानी की बात ये है कि 10 जून को ही उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी. लंबे इंतजार के बाद उन्होंने 14 जुलाई को इसका खुलासा किया है. लेकिन सवाल यह भी उठ रहे हैं कि सिद्धू ने आखिर राहुल गांधी को इस्तीफा क्यों दिया, जबकि राहुल गांधी 25 मई को ही कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके थे. हालांकि, उसके बाद लंबे वक्त तक उन्हें मनाने की कोशिशें भी होती रहीं.

लेकिन पंजाब की बात की जाए तो कांग्रेस में नवजोत सिंह सिद्धू की पारी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ राजनीतिक स्पर्धा की रही. सिद्धू जुलाई 2016 में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. इसके बाद दर्जनों ऐसे मौके आए जब कैप्टन और सिद्धू के बीच कोल्ड वार जैसी स्थिति रही. ये शीत युद्ध 6 जून को तब अपने चरम पर पहुंच गया जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन किया और सिद्धू से अहम समझे जाने वाले शहरी विकास मंत्रालय छीन लिया गया.

पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने पद से दिया इस्तीफा, एक महीने पहले राहुल को दी थी चिट्ठी

नये मंत्रिमंडल में सिद्धू को ऊर्जा मंत्रालय सौंपा गया था. इसके बाद 10 जून को वो राहुल गांधी से मिले और उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा. उन्होंने इसकी सार्वजनिक घोषणा नहीं की थी. हालांकि राहुल गांधी खुद 25 मई को ही कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे की घोषणा कर चुके थे. इस बीच सिद्धू ने न तो अपने नये विभाग को ज्वाइन किया और न ही वे दफ्तर पहुंचे. सिद्धू मीडिया से भी दूर रहे. अब चिट्ठी सार्वजनिक करने के बाद उन्होंने घोषणा की है कि वो सीएम को भी अपना इस्तीफा भेजेंगे. सवाल उठ रहे हैं कि सिद्धू ने पहले कांग्रेस अध्यक्ष को अपना इस्तीफा क्यों सौंपा? 

ऐसा कहा जाता है कि सिद्धू राहुल गांधी को ही अपना नेता मानते रहे हैं. सिद्धू ने कैप्टन को कभी उस तरह की तवज्जो नहीं दी जैसा कैप्टन अमरिंदर सिंह अपेक्षा रखते थे. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में जाने को लेकर दोनों में जो विवाद हुआ वह बढ़ता ही गया. लोकसभा चुनाव में हार का ठीकरा कैप्टन ने सिद्धू पर फोड़ा. उन्होंने सिद्धू का मंत्रालय बदल दिया. सिद्धू ने इसे अपनी हार के रूप में लिया और राहुल गांधी से मिले. नवजोत सिंह सिद्धू चाहते थे कि राहुल गांधी इसमें हस्तक्षेप करें. अगर सिद्धू पद छोड़ने पर अडिग होते तो इस्तीफा राज्यपाल या मुख्यमंत्री को सौंपते लेकिन कहीं न कहीं उन्हें लग रहा था कि राहुल गांधी के हस्तक्षेप से उनकी कुर्सी भी बच जाएगी और मंत्रिमंडल में उन्हें वही प्रतिष्ठा हासिल हो जाएगी.

लेकिन बदलते घटनाक्रम में ऐसा संभव नहीं हो सका. राहुल गांधी ने खुद पद छोड़ने की ठान ली, उन्होंने बार-बार यह भी कहा कि हार के लिए जो लोग जिम्मेदार हैं उन्हें भी पद छोड़ देना चाहिए.

लोकसभा में खराब प्रदर्शन के लिए सिद्धू पर तोहमत

पंजाब में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 13 में से 8 सीटें हासिल की थी. इस प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए पंजाब सीएम ने नवजोत सिंह सिद्धू पर हमला बोला था और कहा था कि शहरी विकास मंत्री के रूप में उनके खराब प्रदर्शन की वजह से कांग्रेस ने 5 सीटें गंवा दी. कैप्टन ने कहा था कि शहरी वोटबैंक कांग्रेस की रीढ़ रही है, लेकिन सिद्धू अपने कार्यकाल में विकास कार्य करने में फेल रहे और इसका नतीजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा.

‘मैं सिर्फ पंजाब के लोगों के प्रति जिम्मेदार’

कैप्टन के साथ पंगा लेने में सिद्धू भी पीछे नहीं रहे. लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के लिए अमरिंदर सिंह ने जब सिद्धू को जिम्मेदार ठहराया तो सिद्धू ने भी कहा था कि जानबूझकर उनके विभाग को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, उन्होंने कहा था कि वे सिर्फ पंजाब के लोगों के प्रति जिम्मेदार हैं. सिद्धू ने कहा था, “ये सामूहिक जिम्मेदारी है, मेरे विभाग को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है, एक व्यक्ति के पास चीजों सही परिपेक्ष्य में देखने की क्षमता होनी चाहिए, मुझे ग्रांटेड नहीं लिया जा सकता है, मैं हमेशा से पर्फॉर्म करने वाला रहा हूं, मेरी जिम्मेदारी सिर्फ पंजाब के लोगों के प्रति है.”

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