सितंबर महीने में कब है कालाष्टमी? इस विधि से करें काल भैरव देव की पूजा

तंत्र सीखने वाले साधक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर काल भैरव देव की कठिन भक्ति और साधना करते हैं। कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर काल भैरव देव साधक की मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

सनातन धर्म में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का खास महत्व है। इस दिन कालाष्टमी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। कालाष्टमी पर्व काल भैरव देव को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर काल भैरव देव की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कामों में सफलता पाने के लिए कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है।

धार्मिक मत है कि कालाष्टमी के दिन काल भैरव देव की पूजा करने से काल, कष्ट, दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। आइए, आश्विन माह की कालाष्टमी के बारे में सबकुछ जानते हैं-

कालाष्टमी व्रत शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, 14 सितंबर को सुबह 05 बजकर 04 मिनट पर आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू होगी। वहीं,15 सितंबर को देर रात 03 बजकर 06 मिनट पर अष्टमी तिथि का समापन होगा। इस प्रकार 14 सितंबर को कालाष्टमी मनाई जाएगी।

कालाष्टमी व्रत शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर सिद्धि योग का संयोग है। इसके साथ ही रवि और शिववास योग का भी निर्माण होगा। इन योग में काल भैरव देव की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होगी।

शिववास योग
कालाष्टमी के दिन शिववास योग का संयोग दिन भर है। इस योग का समापन 15 सितंबर को देर रात 03 बजकर 06 मिनट तक है। इस योग में व्रती जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण और शिवजी की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

पंचांग
सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 05 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 27 मिनट पर
चन्द्रोदय- देर रात 11 बजकर 18 मिनट पर
चंद्रास्त- दोपहर 01 बजकर 11 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 33 मिनट से 05 बजकर 19 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 20 मिनट से 03 बजकर 09 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 51 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 53 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक

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