सिकटा विधानसभा में हलचल, समृद्ध वर्मा भाजपा छोड़ जेडीयू में शामिल

पश्चिम चंपारण की सिकटा विधानसभा सीट पर इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। बीजेपी के युवा और लोकप्रिय नेता समृद्ध वर्मा ने अचानक पार्टी बदलकर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का दामन थाम लिया। यह कदम न केवल सिकटा बल्कि पूरे पश्चिम चंपारण जिले की राजनीति में नई हलचल पैदा कर गया है।
दरअसल, एनडीए के सीट बंटवारे में सिकटा विधानसभा सीट जेडीयू के खाते में चली गई थी। समृद्ध वर्मा इस सीट से भाजपा की ओर से टिकट की दावेदारी कर रहे थे और लगातार इलाके में सक्रिय भी थे। लेकिन सीट जेडीयू को मिलने के बाद उन्होंने रणनीतिक रूप से भाजपा छोड़कर जेडीयू का रुख कर लिया। सूत्रों के मुताबिक, समृद्ध वर्मा को जेडीयू से टिकट और सिंबल मिल चुका है, हालांकि पार्टी की ओर से इसकी आधिकारिक घोषणा कुछ दिनों में होने वाली है।
समृद्ध वर्मा के जेडीयू में शामिल होने के बाद स्थानीय जेडीयू संगठन में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ पुराने कार्यकर्ता नाराज हैं और इसे ‘पैराशूट टिकट’ बता रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी ने वर्षों से मेहनत करने वाले स्थानीय नेताओं की अनदेखी की है। एक वरिष्ठ जेडीयू कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हमने गांव-गांव में पार्टी का संगठन खड़ा किया, लेकिन टिकट एक बाहरी चेहरे को दे दिया गया। इससे स्थानीय कार्यकर्ताओं का मनोबल प्रभावित होगा।”
हालांकि, एनडीए के अन्य घटक दलों भाजपा और हम के नेताओं में इस घटनाक्रम से खुशी और राहत का माहौल है। उनका कहना है कि समृद्ध वर्मा के आने से एनडीए की स्थिति मजबूत होगी क्योंकि वे युवा, पढ़े-लिखे और लोकप्रिय चेहरा हैं।
समृद्ध वर्मा राजनीतिक रूप से नया चेहरा नहीं हैं। वे सिकटा विधानसभा के पांच बार के पूर्व विधायक दिलीप वर्मा के पुत्र हैं, जिन्होंने क्षेत्र में विकास और सामाजिक कार्यों से गहरी छाप छोड़ी थी। समृद्ध वर्मा का बचपन पश्चिम चंपारण के शिकारपुर गांव में बीता, लेकिन शिक्षा और करियर की शुरुआत उन्होंने देश के प्रतिष्ठित संस्थानों से की। उन्होंने पटना और ग्वालियर के सिंधिया स्कूल से स्कूली शिक्षा प्राप्त की, मुंबई विश्वविद्यालय से B.Com किया और फिर अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजेलिस (UCLA) से इंटरनेशनल बिजनेस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।
अमेरिका में शानदार करियर के अवसरों के बावजूद समृद्ध वर्मा ने भारत लौटने का निर्णय लिया। उन्होंने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और टाटा पावर लिमिटेड में ब्रांडिंग और बाहरी संचार विभाग में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। कॉर्पोरेट क्षेत्र में सफलता पाने के बाद उन्होंने राजनीति की राह चुनी। भाजपा ने उन्हें राज्य स्तरीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी थी, जहां उनके वक्तृत्व कौशल और युवाओं से जुड़ने की क्षमता ने उन्हें तेजी से लोकप्रिय बनाया।
समृद्ध वर्मा ने क्षेत्र में गरीबों और किसानों के बीच लगातार संपर्क बनाए रखा और कई सामाजिक अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई। यही कारण है कि आज उन्हें ‘गरीबों का मसीहा’ कहा जाता है। अब समृद्ध वर्मा के जेडीयू प्रत्याशी बनने से सिकटा विधानसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय या बहुकोणीय होता दिख रहा है।
यहां जेडीयू के समृद्ध वर्मा के सामने, RJD-कांग्रेस गठबंधन वामपंथी दल CPI के विरेंद्र गुप्ता, जन सुराज के संभावित उम्मीदवार, और निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व मंत्री खुर्शीद आलम भी ताल ठोंक सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, समृद्ध वर्मा के आने से सिकटा में एनडीए का वोट बैंक एकजुट हो सकता है।
क्षेत्र में वर्मा परिवार का प्रभाव पहले से है, जबकि युवाओं और शहरी मतदाताओं में उनकी छवि साफ-सुथरी और आधुनिक नेता की है। हालांकि, जेडीयू के अंदर नाराजगी अगर बढ़ी तो यह चुनाव में चुनौती भी बन सकती है। सिकटा विधानसभा क्षेत्र की राजनीति जातीय समीकरणों पर आधारित मानी जाती है। यहां भूमिहार, यादव, मुसलमान, ठाकुर और ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या प्रभावशाली है।
दिलीप वर्मा के समय से वर्मा परिवार को भूमिहार और पिछड़ा वर्ग दोनों में अच्छी स्वीकार्यता रही है। यदि समृद्ध वर्मा इस समर्थन को बनाए रखने में सफल रहते हैं, तो एनडीए के लिए यह सीट जीतना आसान हो सकता है।
समृद्ध वर्मा के जेडीयू में आने से एनडीए के अंदर संतुलन और रणनीति दोनों में बदलाव आया है। पहले जहां भाजपा के कार्यकर्ता सीट जेडीयू को देने से नाराज थे, अब वही कार्यकर्ता एनडीए के एकजुट अभियान की बात कर रहे हैं। सिकटा में यह चुनाव केवल उम्मीदवारों का नहीं, बल्कि एनडीए की एकता और विपक्षी एकजुटता की भी परीक्षा साबित होगा।