सावन का अंतिम सोमवार और रक्षाबंधन एक ही दिन, जानें क्या है इसका महत्व एवं ध्यान देने योग्य बातें

सावन का अंतिम सोमवार और रक्षाबंधन 7 अगस्त को पड़ रहा है। इसी दिन चंद्रग्रहण भी है। चंद्रगहण का सूतक समय दोपहर 12:33 से शुरू होकर ग्रहण के समाप्त होने तक रात 12:48 बजे तक होगा। इस दौरान मंदिरों के पट बंद रहेंगे। जबकि  जप, यज्ञ, दान, पुण्य, पाठ करने से अभीष्ट फल की प्राप्तिहोगी। यदि कोई रुद्राभिषेक करना चाहता हो तो वह सुबह 5:41 से लेकर सुबह 10:36 बजे तक कर सकता है। जबकि  भद्रा सुबह 11:11 बजे तक समाप्त होगी। ऐसे में रक्षाबंधन का श्रेष्ठ समय सुबह 11:11 से दोपहर 12:32 बजे तक रहेगा। इसका कारण है कि धर्म सिंधु के अनुसार रक्षाबंधन भद्रा समाप्त होने के बाद सही माना जाता है।

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परमट समेत सभी शिवालय सोमवार की सुबह 11:30 बजे बंद होंगे
रविवार की रात 10 बजे कानपुर के परमट मंदिर के पट बंद होंगे। रात 11 बजे तक चांदी वाले गेट से बाबा के दर्शन मिलेेंगे। इसके बाद रात 11:45 बजे शयन आरती होकर पट बंद होंगे। वहीं रात 1:45 बजे मंगला आरती के लिए मंदिर के पट खोले जाएंगे और 2 बजे से भक्तों को बाबा के दर्शन मिलेंगे। दर्शनों का सिलसिला सुबह 11:30 बजे तक रहेगा। इसके बाद पट बंद होकर मंगलवार की भोर में 5 बजे मंगला आरती के  बाद खोले जाएंगे।

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व्रत का पारण सूतक के बाद करें
आचार्य अमरेश मिश्रा और आचार्य सत्यप्रकाश मिश्रा का कहना है कि सोमवार, पूर्णमासी और सावन मास व्रत रहने वाले लोग सोमवार को पूरा व्रत रहेंगे। जो व्रत में एक बार अन्न खाते है वह दोपहर 1:30 बजे अन्न खा सकते है। तुलसीदल, कुशा जल और दूध में डाल कर रख दें और शाम 6 बजे तक इसे पी सकते है। शाम 6 बजे के बाद रात 12:48 बजे तक अन्न, जल ग्रहण न करें। इसके बाद स्नान कर जल व अन्न खा सकते है। बशर्ते बच्चे, वृद्ध और रोगी को ग्रहणकाल में छूट होगी। चंद्रग्रहण
रात 10:52 से 12:48 बजे तक रहेगा। करीब दो घंटे का ग्रहणकाल होगा।

भारत में दिखाई देगा चंद्रग्रहण
चिंतक इंस्टीट्यूट आफ वैदिक सांइसेस के संस्थापक अध्यक्ष रमेश चिंतक ने बताया कि 7 अगस्त को खंडग्रास चंद्रग्रहण है। यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा। ग्रहण मकर राशि के श्रवण नक्षत्र में पड़ रहा है। काशी में यह खंडग्रास चंद्रग्रहण दक्षिण आकाश दृश्य में होगा। चंद्रमा का एक चौथाई भाग ग्रहण ग्रसित होगा। ग्रहण का स्पर्श रात्रि 10:52 से रात्रि 12:49 बजे पर मोक्ष होगा। सूतक ग्रहण प्रारंभ होने के 9 घंटे पहले हो जाता है।

ध्यान देने योग्य बातें
– ग्रहण को किसी भी राशि के लिए लाभप्रद कहना ठीक नहीं है। जब प्रभु पर संकट है तो अच्छा होना संभव नहीं।
– जब चंद्र या सूर्य देव पर ग्रहण हो तो कोई भी उनका भक्त मनोरंजन करने की सोच नहीं कर सकता है। सभी प्रार्थना करेंगे प्रभु यह संकट काटो।
– अंगूठी, जंतुर, माला को सूतक लगने से पहले गंगाजल एक पात्र में रख कर उसी में सब डाल कर ढक देना चाहिए। मोक्ष के बाद निर्मल कांति हो जाए तब धूपबत्ती दिखाकर पुन: धारण करना चाहिए।
– किसी भी प्रकार का जाप किया जा सकता है। यदि संभव हो तो गंगा में खड़े होकर जाप करना अति उत्तम है। जाप करते समय सिर पर कपड़ा अवश्य रख लें।
– इस दौरान मन को शांत करके एक स्थान पर ध्यान लगाना चाहिए।
– ग्रहण मोक्ष के बाद जो कपड़े धारण कर रखें हैं उनको पहने हुए ही कुछ जल डालकर उन्हें भिगो लेना चाहिए। उसके बाद उतारने चाहिए।
– मोक्ष के बाद कुछ दान अवश्य करना चाहिए। चंद्रग्रहण है इसलिए चावल का दान कर सकते हैं।

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