साल के आखिरी ‘मन की बात’ में ये क्या कह गए पीएम मोदी, इस लाइन को सुनकर हर कोई…

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिसंबर 2019 में साल की आखिरी और इस दशक की आखिरी ‘मन की बात’ के जरिए देश को संबोधित कर रहे हैं। 2019 की विदाई के पल हमारे समाने हैं, अब हम न सिर्फ नए साल में प्रवेश करेंगे, बल्कि नए दशक में प्रवेश करेंगे। इसमें देश के विकास को गति देने में वे लोग सक्रिय भूमिका निभाएंगे, जिनका जन्म 21वीं सदी में हुआ है।

इस कार्यक्रम के लिए उन्होंने 16 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने इसके लिए जनता से विचार आमंत्रित किए थे। मोदी ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए लोगों को नए साल की बधाई दी। पीएम मोदी ने कहा है कि देश के युवाओं को अराजकता और जातिवाद से चिढ़ है। आज का युवा जात-पात से ऊंचा सोचता है। ये युवा परिवाववाद और जातिवाद पसंद नहीं करते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि आज का युवा व्यवस्था को पसंद करता है और जब भी कोई व्यवस्था तोड़ता है, तो युवा मोबाइल निकालकर उसका वीडियो बना लेता है, जो वायरल भी हो जाता है और बाद में गलत काम करने वालों को बाद में पछतावा भी होता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज का पीढ़ी बेहद तेज-तर्रार है। ये पीढ़ी कुछ नया और कुछ अलग करने की सोचती है। स्वामी विवेकानंद जी कहते थे कि युवावस्था की कीमत को न आंका जा सकता है। ये जीवन का सबसे मूल्यवान कालखंड होता है। आपका जीवन इस पर निर्भर करता है कि आप अपनी युवावस्था का उपयोग किस प्रकार करते हैं।

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हम अलग अलग कॉलेजों में, यूनिवर्सिटीज में और स्कूल्स में पढ़ते तो हैं, लेकिन पढ़ने के बाद अलुमनाई मीट (Alumni meet) एक बहुत सुहाना अवसर है। इस अवसर पर सभी नौजवान पुरानी यादों में खो जाते हैं, इसका एक अलग ही आनंद है।

स्थानीय चीजों को खरीदने का आह्वान

मुझे विश्वास है कि भारत में ये दशक न सिर्फ युवाओं के विकास के लिए होगा बल्कि युवाओं के सामर्थ्य से देश का विकास करने वाला भी साबित होगा। भारत को आधुनिक बनाने में युवा पीढ़ी की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है।मैंने 15 अगस्त को लालकिले से देशवासियों से एक आग्रह किया था और देशवासियों से local खरीदने का आग्रह किया था। आज फिर से मेरा सुझाव है कि क्या हम स्थानीय स्तर पर बने उत्पादों को प्रोत्साहन दे सकते हैं? क्या उन्हें अपनी खरीदारी में स्थान दे सकते हैं?

महात्मा गांधी ने स्वदेशी की इस भावना को एक ऐसे दीपक के रूप में देखा जो लाखों के जीवन को रोशन करता हो। गरीब से गरीब के जीवन में समृद्धि लाता हो। सौ साल पहले गांधी जी ने एक बड़ा जन आन्दोलन शुरु किया। इसका एक लक्ष्य था भारतीय उत्पादों को प्रोत्साहित करना।

क्या हम संकल्प ले सकते हैं कि 2022 तक जब आजादी के 75 वर्ष पूरे होंगे, इन 2-3 साल हम स्थानीय उत्पाद खरीदने के आग्रही बनें? भारत में बना, जिसमें हमारे देशवासियों के पसीने की महक हो, ऐसी चीजों को खरीदने का हम आग्रह कर सकते हैं क्या?

आत्मनिर्भर बनने के लिए हिमायत कार्यक्रम की चर्चा

हम सबके लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि देश के नागरिक आत्मनिर्भर बनें और सम्मान के साथ अपना जीवन व्यापन करें। मैं एक ऐसी पहल की चर्चा करना चाहूंगा। वो पहल है जम्मू-कश्मीर का ‘हिमायत’ कार्यक्रम। हिमायत कार्यक्रम स्किल डेवलपमेंट और रोजगार से जुड़ा है। आपको जानकार अच्छा लगेगा कि हिमायत कार्यक्रम के अंतर्गत पिछले 2 साल में 18 हजार युवाओं को अलग-अलग ट्रेड में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इनमें से करीब 5 हजार लोग तो अलग-अलग जगह नौकरी कर रहे हैं और बहुत सारे स्वरोजगार की ओर आगे बढ़ रहे हैं।

एस्ट्रोनॉमी को लेकर मोदी ने कही ये बात

भारत में Astronomy यानि खगोल-विज्ञान का बहुत ही प्राचीन और गौरवशाली इतिहास रहा है। आकाश में टिमटिमाते तारों के साथ हमारा संबंध उतना ही पुराना है, जितनी हमारी सभ्यता। आर्यभट ने सूर्य-ग्रहण, चंद्र ग्रहण की विस्तार से व्याख्या की है। भास्कर जैसे उनके शिष्यों ने इस ज्ञान को आगे बढ़ाने के प्रयास किए। केरल में, संगम ग्राम के माधव, इन्होंने ब्रह्मांड में मौजूद ग्रहों की स्थिति की गणना करने के लिए कैलकुलस (Calculus) का उपयोग किया।

ISRO के पास एस्ट्रोसैट (ASTROSAT) नाम का एक एस्ट्रोनॉमिकल सैटेलाइट (Astronomical satellite) है।सूर्य पर रिसर्च करने के लिए ISRO ‘आदित्य’ के नाम से एक दूसरा सैटेलाइट भी लॉन्च करने वाला है। खगोल विज्ञान को लेकर चाहे हमारा प्राचीन ज्ञान हो या आधुनिक उपलब्धियां, हमें इन्हें अवश्य समझना चाहिए।

सूर्य, चंद्रमा की गति के आधार पर मनाए जाएंगे कई त्योहार

मेरे प्यारे देशवासियो, सूर्य, पृथ्वी, चंद्रमा की गति केवल ग्रहण तय नहीं करती, बल्कि, कई सारी चीजें भी इससे जुड़ी हुई हैं। सूर्य की गति के आधार पर, जनवरी के मध्य में पूरे भारत में विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाये जाएंगे।

जनवरी में बड़े ही धूम-धाम से मकर- संक्रांति और उत्तरायण मनाया जाता है। पंजाब में लोहड़ी, तमिलनाडु में पोंगल, असम में माघ-बिहु भी मनाये जाएंगे। ये त्यौहार, किसानों की समृद्धि और फसलों से निकटता से जुड़े हैं। ये हमें, भारत की एकता और विविधता की याद दिलाते हैं।

मेरे प्यारे देशवासियो, 2019 की ये आख़िरी ‘मन_की_बात’ है। 2020 में हम फिर मिलेंगे। नया वर्ष, नया दशक, नए संकल्प, नई ऊर्जा, नया उमंग, नया उत्साह। आइए चल पड़ें। बहुत-बहुत धन्यवाद, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

सांसदों ने किया बहुत काम

पिछले 6 महीने में, 17वीं लोकसभा के दोनों सदन बहुत ही प्रोडक्टिव रहे हैं। लोकसभा ने 114 फीसद काम किया, तो राज्यसभा ने 94 फीसद काम किया। मैं दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों, सभी राजनैतिक दलों और सभी सांसदों को उनकी सक्रिय भूमिका के लिए बधाई देना चाहता हूं।

 
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