सलाम : रेजा नहीं, अब मास्टर मुन्नावती

मुन्नावती
झारखंड के रांची में रहने वाली मुन्नावती ने ईंट के भट्टे पर मजदूरी करते हुए संस्कृत में एमए किया है। इतना ही नहीं उन्होंने एमए में गोल्ड मेडल जीतते हुऐ यूनिवर्सिटी टॉप भी किया है। मुन्नावती रांची जिले के डोलइंचा गांव की रहने वाली हैं।

जब उनको पोस्टिंग लेटर दिया गया तो वह खुशी के मारे उछल पड़ीं, साथ में आंखें भी छलक गईं। मुन्नावती कहती हैं कि वह गरीब परिवार से आती हैं, इसलिए मजदूरी करना हमारे लिए कोई अचरज भरा काम नहीं है। अब सफलता पूर्वक शिक्षिका के रूप में अपने कर्तव्य को निभाना चाहती हूं।

उन्होंने कहा कि जेएसएससी की पीजी ट्रेंड टीचर की नियुक्ति परीक्षा में सफलता हासिल करने के बाद अब उसकी वर्षों की मेहनत और संघर्ष को मुकाम मिल गया है। इस मौके पर कुल 580 पीटीजी और टीजीटी टीचर्स को भी पोस्टिंग लेटर दिया गया। 

मुन्नावती ने बताया कि उसकी दो बड़ी बहनें हैं जिनकी शादी हो चुकी है और एक भाई है। वह कहती हैं कि आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण 1998 में दसवीं की परीक्षा पास कर पढ़ाई छोड़नी पड़ी। 

तब से लेकर 2005 तक पढ़ाई से दूर रहीं। इसके बाद मजदूरी करने लगीं। मजदूरी करते हुए उसने बेड़ो के करमचंद भगत कॉलेज में दाखिला लिया। और संस्कृत विषय से स्नातक की डिग्री हासिल की।

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