‘सरकार फैसला वापस लें, नहीं तो करेंगे आंदोलन’, काम के घंटे बढ़ाए जाने पर हिंद मजदूर सभा की धमकी

महाराष्ट्र सरकार की तरफ से काम के घंटे बढ़ाने को लेकर किए गए फैसले पर विवाद गहराने लगा है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ हिंद मजदूर सभा का चेतावनी दी है कि अगर ये फैसला वापस नहीं लिया तो पूरे महाराष्ट्र में आंदोलन करेंगे।

महाराष्ट्र सरकार की तरफ से फैक्ट्रियों, दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों में काम के घंटे बढ़ाने के हालिया फैसले को लेकर मजदूर संगठनों में गहरा असंतोष फैल गया है। हिंद मजदूर सभा ने सोमवार को इस फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग करते हुए चेतावनी दी कि अगर सरकार ने इसे नहीं माना, तो पूरे राज्य में जबरदस्त आंदोलन छेड़ा जाएगा।

फैसला पूरी तरह मजदूर विरोधी है- वाधवकर
हिंद मजदूर सभा की महाराष्ट्र परिषद के महासचिव संजय वाधवकर ने कहा कि यह फैसला पूरी तरह मजदूर विरोधी है और इससे मजदूरों का कानूनी शोषण बढ़ेगा। उन्होंने कहा, ‘श्रम विभाग में इतनी ताकत नहीं है कि वह हर जगह निगरानी कर सके। ऐसे में कंपनियों को मनमानी करने का खुला मौका मिल जाएगा। यह फैसला केंद्र सरकार के दबाव में कॉरपोरेट मालिकों के मुनाफे के लिए लिया गया है, जबकि इससे मजदूरों की सेहत और अधिकारों पर सीधा असर पड़ेगा।’

फैसले से मजदूरों के लिए क्या बदलेगा?
महाराष्ट्र कैबिनेट ने 3 सितंबर को पुराने कानूनों में बदलाव को मंज़ूरी दी थी। इसके तहत फैक्ट्री कर्मचारियों के दैनिक काम के घंटे 9 से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिए जाएंगे। पहले मजदूरों को 5 घंटे काम करने के बाद 30 मिनट का विश्राम मिलता था, अब यह 6 घंटे बाद मिलेगा। ओवरटाइम की सीमा 115 घंटे प्रति तिमाही से बढ़ाकर 144 घंटे की जाएगी, लेकिन इसके लिए मजदूर की लिखित सहमति जरूरी होगी। साप्ताहिक काम के घंटे 10.5 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिए जाएंगे।

दुकान और प्रतिष्ठान कर्मचारियों के लिए बदलाव
दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों के दैनिक काम के घंटे 9 से बढ़ाकर 10 घंटे कर दिए जाएंगे। ओवरटाइम सीमा 125 घंटे से बढ़ाकर 144 घंटे कर दी जाएगी। आपातकालीन ड्यूटी की अधिकतम सीमा भी 12 घंटे होगी। ये बदलाव केवल 20 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों पर लागू होंगे।

संगठनों का गुस्सा और सरकार का तर्क
संजय वाधवकर का कहना है कि इन बदलावों से न केवल काम के घंटे बढ़ेंगे, बल्कि पहले से मौजूद सुरक्षा और कल्याण संबंधी प्रावधान भी कमजोर हो जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि यह फैसला बिना किसी ट्रेड यूनियन से परामर्श किए लिया गया, जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन है। वाधवकर ने चेतावनी दी कि अगर यह फैसला वापस नहीं लिया गया, तो हिंद मजदूर सभा अन्य मजदूर संगठनों के साथ मिलकर पूरे राज्य में आंदोलन करेगी।

इन राज्यों में पहले ही लागू है नियम
वहीं, सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह बदलाव केंद्र सरकार के टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर किए गए हैं। इससे महाराष्ट्र को कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा जैसे राज्यों की बराबरी में लाया जाएगा, जहां ऐसे नियम पहले ही लागू हो चुके हैं।

मजदूर संगठनों की मुख्य चिंता
लंबे काम के घंटे मजदूरों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाएंगे। आराम करने का समय कम होने से थकान और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ेगा। श्रम विभाग में निगरानी के लिए पर्याप्त स्टाफ नहीं है, जिससे कानून का दुरुपयोग होगा। मजदूरों के अधिकारों में कटौती और कॉरपोरेट कंपनियों को फायदा मिलने का डर है। हिंद मजदूर सभा का कहना है कि यह फैसला मजदूरों के हितों के खिलाफ है और अगर इसे नहीं रोका गया, तो आने वाले दिनों में राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन देखने को मिलेंगे।

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