समुद्र के खारे पानी के पीछे छुपा हुआ हैं ये बड़ा श्राप, जानें क्यों मिला था ये श्राप…

समुद्र का पानी काफी खारा होता है इस बारे में तो हर कोई जानता है। इसके पीछे जहां कई वैज्ञानिक कारण हैं तो वहीं इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं भी प्रचलित है। जिनके अनुसार समुद्र का पानी हमेशा से ही खारा नहीं था। बल्कि इसका पानी दूध की तरह सफेद और मीठा था। लेकिन आज के समय में इस पानी को पीना तो दूर की बात कोई अपने मुंह से लगाना भी पसंद नहीं करेगा। जानिए इससे जुड़ी क्या है पौराणिक धार्मिक कहानी…

शिव महापुराण में ऐसा उल्लेख मिलता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए वर्षों कठोर तपस्या की थी, उनकी इस स्थिति को देखकर तीनों लोक भयभीत हो उठे और इस समस्या का हल निकालने की कोशिश करने लगे। इतने में ही समुद्र देवता पार्वती के स्वरूप को देख मोहित हो गए।

जैसे ही माता पार्वती की तपस्या पूरी हुई वैसे ही समुद्र देवता ने देवी के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रख दिया। माता उमा ने समुद्रदेव से कहा कि मैं पहले से ही शिव की हो चुकी हूं। यह सुनकर समुद्र देवता को क्रोध आ गया। और क्रोधवश वह भगवान शंकर को भला बुरा कहने लगे। समुद्र देवता ने माता पार्वती से कहा कि ‘उस भस्मधारी आदिवासी में ऐसा क्या है जो मुझमें नहीं है, मैं सभी मनुष्यों की प्यास बुझाता हूं और मेरा चरित्र दूध की तरह सफेद है। हे उमा, मुझसे विवाह के लिए हामी भर दो और समुद्र की रानी बन जाओ।’

 

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समुद्र देवता के मुख से भगवान शंकर के लिए अपशब्द सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और गुस्से में उन्होंने उन्हें शाप दे दिया कि जिस मीठे पानी पर तुम्हें अभिमान है, वह खारा हो जायेगा और कोई भी मनुष्य तुम्हारा जल ग्रहण नहीं कर पायेगा। कहा जाता है कि तभी से समुद्र का पानी इतना खारा हो गया कि कोई भी व्यक्ति उसे ग्रहण नहीं कर सकता है।

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