समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ निरहुआ’ के बाद अब लोकसभा चुनाव में उनका एक और करीबी ताल ठोकने को तैयार है। ‘अखिलेश की लोकसभा सीट आजमगढ़ से ही उनके एक और करीबी ने चुनाव लड़ने का दावा किया है।
‘निरहुआ’ पहले अखिलेश के करीबियों में शामिल थे और आज उनके खिलाफ मैदान में उतर रहे हैं। अखिलेश यादव के दूसरे करीबी कोई और नहीं यूपी नवनिर्माण सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित जानी हैं।
लेकिन मैदान में उतरने से पहले अमित जानी ने डीजीपी से सुरक्षा की गुहार लगाई है। सपाजनों से अपनी जान का खतरा बताते हुए डीजीपी से सुरक्षा मांगी है। डीजीपी मुख्यालय से एसपी आजमगढ़ को पत्र भेजते हुए रिपोर्ट मांगी गई है।
मायावती की प्रतिमा भी तोड़ चुके हैं अमित जानी
मेरठ के जानी क्षेत्र के रहने वाले अमित जानी कभी सपा के समर्थक और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी थे। डीजीपी को भेजे गए पत्र के मुताबिक जिस समय सपा कार्यकर्ता लखनऊ में बसपा सुप्रीमो मायावती की प्रतिमा और हाथियों को तोड़ने का काम कर रहे थे, उस दौरान अमित जानी ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था।
पत्र में अमित जानी ने उल्लेख किया है कि सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां से उनकी कई बार मारपीट और हाथापाई भी हो चुकी है। इसके चलते सपा के ज्यादातर लोग उसके विरोध में रहते है और बदला लेने की भावना रखते हैं। अमित जानी अखिलेश यादव के खिलाफ अपनी पार्टी से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।
प्रचार के लिए उन्हें वोटरों के बीच में जाकर वोट मांगना है। ऐसे में सपाजनों से उसकी जान को खतरा बना हुआ है। इसे ध्यान में रखते हुए सुरक्षा प्रदान की जाए। बता दें कि भोजपुरी गायक और अभिनेता दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ भाजपा की तरफ से मैदान में उतर चुके हैं। वो भी कभी अखिलेश के बेहद करीबी थे और ‘निरहुआ’ को प्रशासन द्वारा पहले से ही वाई प्लस सुरक्षा मिली चुकी है।
रातों रात सुर्खियों में आया था अमित जानी का नाम
लखनऊ में मायावती की मूर्ति तोड़कर रातों रात अखबारों की सुर्खियों में आए अमित जानी पर कई गंभीर मुकदमे हैं। खुद को सपा का करीबी बताने वाले अमित जानी इससे पहले बागपत सीट से टिकट के लिए आवेदन भी कर चुके हैं।
महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों पर हमलों को देखते हुए अमित जानी ने उत्तर प्रदेश नव निर्माण सेना का गठन किया। वो कई संगीन आपराधिक मामलों में शामिल रहे हैं। उनके खिलाफ मेरठ, अमरोहा और देहरादून के थानों में आधा दर्जन से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं।