सपनों को मिली उड़ान…मेहनत ने दिलाई पहचान, ये हैं प्रदेश के टॉप-10 में शामिल 10वीं के महारथी

यूपी बोर्ड की हाईस्कूल की परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों ने यह साबित कर दिया कि लगन, परिश्रम और आत्मविश्वास के बल पर कोई भी मंजिल दूर नहीं है। कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बावजूद इन्होंने न सिर्फ परीक्षा में सफलता हासिल की, बल्कि अपने भविष्य के भी बड़े सपने संजोए हैं। कोई डॉक्टर बनना चाहता है, कोई इंजीनियर, तो कोई शिक्षक या प्रशासनिक अधिकारी। आइए जानते हैं इन होनहार छात्रों की सफलता की कहानियां और उनके उज्ज्वल भविष्य के सपने…
आईएएस बन देशसेवा का लक्ष्य
हाईस्कूल की परीक्षा में 97.83 अंकों के साथ यूपी में टॉप करने वाले जालौन के यश प्रताप सिंह ने बताया कि वह रोजाना 10 से 12 घंटे पढ़ाई करते थे। उन्हें उम्मीद थी कि उनका प्रदेश के टॉपर लिस्ट में स्थान जरूर आएगा। यश ने बताया कि वह भविष्य में आईएएस बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं।
उन्होंने इस सफलता का श्रेय माता-पिता के अलावा चाचा व गुरुजनों को दिया है। उनके पिता ने बताया कि पढ़ाई के प्रति उसकी ललक तब जगी जब वह आठवीं का छात्र था। उसके दोस्त देव ने यूपी बोर्ड में प्रदेश में आठवां स्थान हासिल किया तो उसे देखकर वह भी पढ़ाई में जुट गया। उसका परिणाम आज सामने है।
सोशल मीडिया से बनाई दूरी
इटावा की अंशी श्रीवास्तव ने 97.67 अंक पाकर प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया है। अंशी के पिता राहुल श्रीवास्तव कच्ची बर्फ बेचते हैं। आर्थिक स्थितियां ठीक न होने के बावजूद वह अपनी बेटी को निजी स्कूल में पढ़ा रहे हैं।
अंशी ने बताया कि सोशल मीडिया से दूरी रखी और शादी समारोह में भी शामिल होने से बचती रहीं। तब जाकर सफलता मिल सकी। उन्होंने बताया कि स्कूल से इतर लगभग 10 घंटे घर में पढ़ती थीं। वह डॉक्टर बनना चाहती हैं।
भरपेट खाना नहीं खाता था
97.67 प्रतिशत अंक हासिल कर प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल करने वाले बाराबंकी के अभिषेक यादव कहते हैं कि समय प्रबंधन और पढ़ाई में अनुशासन के बल पर सफलता हासिल की। अभिषेक के पिता संतोष कुमार बताते हैं कि अभिषेक जरूरत पड़ने पर ही मोबाइल का उपयोग करता था। मां मिथिलेश बताती हैं कि वह कभी भर पेट नहीं खाता था। कहता था कि अगर पेट भर लिया तो नींद आ जाएगी। अभिषेक ने बताया कि वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में बीटेक कर इंजीनियर बनना चाहते हैं।
8-10 घंटे रोज पढ़ाई की
जालौन की सिमरन गुप्ता ने 97.50 प्रतिशत अंक अर्जित कर प्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। अब वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनकर पिता व माता का सपना पूरा करना चाहती हैं। सिमरन गुप्ता के पिता व मां रागिनी गुप्ता किराने की दुकान चलाते हैं। उनकी एक बड़ी बहन है, जबकि छोटा भाई कक्षा पांच में पढ़ता है।
सिमरन ने बताया कि वह स्कूल से आने के बाद और कोई काम नहीं करती थीं। मां भी उनसे कोई काम करने के लिए नहीं कहती थीं। इसलिए वह आठ से दस घंटे तक स्कूल से आने के बाद पढाई कर लेतीं थीं। उन्होंने बताया कि वह मोबाइल का इस्तेमाल सिर्फ पढ़ाई के लिए ही करती हैं। पिता का कहना है कि उनकी बेटी जहां तक पढ़ाई करना चाहती है, वह उसे पढ़ाएंगे। सिमरन गुप्ता ने अपनी इस सफलता का श्रेय विद्यालय प्रबंधन व माता पिता को दिया है।
इंजीनियर बनना है लक्ष्य अर्पित वर्मा
सीतापुर के महमूदाबाद निवासी बाबूराम सावित्री देवी इंटर कॉलेज के हाईस्कूल के छात्र अर्पित वर्मा ने बोर्ड परीक्षा में प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल किया है। अर्पित ने बताया कि वह संयुक्त परिवार में रहते हैं। पिता नरेंद्र वर्मा खेती करते हैं। अर्पित रोज दस किलोमीटर साइकिल चलाकर स्कूल अध्ययन कर सफलता हैं। अर्पित वर्मा ने पढ़ने जाते हैं। नियमित तीन घंटे हासिल की है। वह आईआईटी से इंजीनियरिंग करना चाहते अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और गुरुजनों को दिया।
मोबाइल से नहीं रखा लगाव
97.50 प्रतिशत अंकों के साथ प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल करने वाली मुरादाबाद की रितु गर्ग ने बताया कि उन्होंने प्रतिदिन औसतन पांच घंटे घर पर पढ़ाई की। बोर्ड परीक्षा के हिसाब से लक्ष्य निर्धारित कर परीक्षा की तैयारी की। वह आईएएस बनना चाहती हैं। उन्हें क्रिकेट में भी रुचि है।
रितु ने बताया कि उन्हें मोबाइल से ज्यादा लगाव नहीं है। वह जरूरत पड़ने पर ही मोबाइल का उपयोग करती हैं। उनके पिता सचिन गर्ग इंटर पास निजी कार चालक और माता किरन गर्ग हाईस्कूल पास गृहणी हैं। रितु की बड़ी बहन कामना और उमा बीएससी फाइनल और छोटी बहन मणिकर्णिका कक्षा नौ की छात्रा है।
डॉक्टर बनने का है सपना
97.33 प्रतिशत अंक पाकर प्रदेश में चौथा स्थान प्राप्त करने वाली इटावा की चौधरी अंशी कश्यप ने बताया कि वह प्रतिदिन 6 से 8 घंटे पढ़ाई करती थीं। उन्होंने सुबह चार बजे से उठकर पढ़ने को सबसे मुफीद समय माना। अंशी ने बताया कि इस समय सबसे अच्छी पढ़ाई होती है। बताया कि वह डॉक्टर बनना चाहती हैं।
परीक्षा में सफलता के लिए रणनीति बनाकर की पढ़ाई
97.33 फीसदी अंकों के साथ प्रदेश में चौथे नंबर पर आई सीतापुर की आंचल वर्मा ने बताया कि बोर्ड परीक्षा में सफलता के लिए रणनीति बनाकर चार से पांच घंटे नियमित पढ़ाई की। नियमित स्कूल गई और गुरुजनों ने जो टिप्स दिए, उसका अनुसरण किया।
आंचल की मां विनीता वर्मा कक्षा आठ तक पढ़ी हैं। पिता मनोज कुमार वर्मा किसान हैं। माता-पिता दोनों ने पढ़ने के लिए प्रेरित किया। रोज चार किमी का सफर साइकिल से तय कर स्कूल जाती थी। जब बोर्ड के पेपर नजदीक आएं तो अनसॉल्वड लगाना काफी फायदेमंद रहा।
बिना ट्यूशन पाई सफलता
हरदोई की आकृति पटेल ने प्रदेश में चौथा स्थान पाया है। 97.33 फीसदी अंक हासिल कर आकृति ने आईआईटी से इंजीनियरिंग करने का सपना संजोया है। उसने सोशल मीडिया का उपयोग कभी नहीं किया। कोई कोचिंग और ट्यूशन भी नहीं किया। आकृति बताती हैं कि स्कूल में होने वाली पढ़ाई का ही घर में पांच घंटे अभ्यास करती थीं।
लगातार पढ़ाई ने दिलाया प्रदेश की मेरिट में स्थान
प्रदेश की मेरिट में 97.16 फीसदी अंक के साथ पांचवां स्थान पाने वाली हरदोई की श्रेया राज कहती हैं कि खुद पर भरोसा रखने और लगातार पढ़ाई करने से सफलता मिली है। वह बताती हैं कि उन्होंने पढ़ाई के दौरान कभी कोचिंग या ट्यूशन का सहारा नहीं लिया। अंग्रेजी के प्रवक्ता पिता के मार्गदर्शन में पढ़ाई की और अगर कभी कोई समस्या आई तो विद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाओं ने उस समस्या को दूर कराया। वह कहती हैं कि स्कूल में पढ़ाई के अलावा लगभग छह घंटे रोज पढ़ती थीं।
स्कूल में शिक्षक जो पढ़ाएं उनके बना लें नोट्स, खूब करें रिवीजन
97 फीसदी अंक लाकर प्रदेश में छठा स्थान प्राप्त करने वाली सीतापुर की आयुषी ने बताया कि स्कूल से जाकर रेस्ट लेना जरूरी है। स्कूल में गुरुजन जो भी पढ़ाएं, उनके अच्छे से नोट्स बनाएं। इन नोट्स का घर जाकर रिवीजन करें। अगले दिन शिक्षकों से सवाल पूछें। आयुषी ने कहा कि विज्ञान और गणित के साथ सामाजिक विज्ञान पर अच्छी पकड़ है। वह डॉक्टर बनना चाहती हैं। कहा कि नियमित नोट्स का अधिक से अधिक रिवीजन सफलता की राह आसान करता है।
इंजीनियर बनकर राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहते हैं
अयोध्या के मसौधा निवासी अनुप कुमार ने 96.50 प्रतिशत अंक के साथ प्रदेश में नौवां स्थान प्राप्त किया है। अनूप ने बताया कि पिता अंजनी कुमार पेंटिंग का कार्य करते हैं। मजदूरी करके पढ़ाई करवा रहे हैं। अनूप ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता एवं गुरुओं को दिया है। बताया कि कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ ऑनलाइन भी यूट्यूब के माध्यम से पढ़ाई करते थे। वह भविष्य में वह इंजीनियर बनकर राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहते हैं।