संसद में व्यवधान सांसदों के लिए नुकसानदेह

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि बहस में रुचि न दिखाने और हंगामा करने वाले नेताओं पर दबाव बनाना चाहिए क्योंकि इससे सांसदों का नुकसान होता है। उन्होंने युवा सांसदों को सदन में व्यवधान डालने के निर्देशों का विरोध करने की सलाह दी। रिजिजू ने उपराष्ट्रपति चुनाव के दौरान सेवानिवृत्त न्यायाधीशों द्वारा गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ टिप्पणियों की भी आलोचना की।

संसद में व्यवधान सांसदों के लिए नुकसानदेह, सरकार के लिए नहीं- किरेन रिजिजू
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को कहा कि अगर कोई पार्टी नेता बहस और चर्चा में रुचि नहीं दिखाता और इसके बजाय हंगामा और राजनीतिक नाटकबाजी पर उतर आता है, तो उस पर दबाव बनाया जाना चाहिए, क्योंकि इससे अंतत: संसद सदस्यों को ही नुकसान होता है।

रिजिजू कर्नाटक हाई कोर्ट के वकीलों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने युवा सांसदों को सलाह दी कि वे अपने नेताओं द्वारा सदन में व्यवधान डालने के निर्देशों का विरोध करें।

व्यवधानों से सांसदों को सरकार से कहीं ज्यादा नुकसान होता है, जो अपने बहुमत का इस्तेमाल करके अपने विधेयक पारित कर सकती है। उन्होंने मानसून सत्र का हवाला देते हुए कहा, ”सरकार जब भी जरूरत होगी अपने विधेयकों को पारित करा लेगी, लेकिन नुकसान सांसदों, खासकर विपक्षी सांसदों का होगा।”

उन्होंने यह बात तब कही, जब उन्होंने विपक्षी दलों से तीन हफ्ते तक बहस में हिस्सा लेने का आग्रह किया था, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। उन्होंने मतदाताओं को ”बाहुबल और धनबल” वाले नेताओं को चुनने के प्रति भी आगाह किया। उन्होंने कहा कि संसद में ऐसे बहुत ही ईमानदार सदस्य होते हैं जो जी-जान से काम करते हैं, लेकिन फिर अगला चुनाव हार जाते हैं।

शाह के खिलाफ रिटायर्ड जजों के अभियान की आलोचना
किरेन रिजिजू ने उपराष्ट्रपति चुनाव की चल रही प्रक्रिया के दौरान हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के अभियान को लेकर सवाल उठाया है। उन्होंने उनके हस्ताक्षर अभियान और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ टिप्पणियों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि संवैधानिक प्राधिकारियों के खिलाफ इस तरह का अभियान चलाना अनुचित है।

रिजिजू ने कहा, ”कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने गृह मंत्री के खिलाफ कुछ लिखा है। यह ठीक नहीं है। उपराष्ट्रपति का चुनाव एक राजनीतिक मामला है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश इसमें हस्तक्षेप क्यों करें। इससे ऐसा लगता है कि न्यायाधीश रहते हुए भी उनकी एक अलग विचारधारा थी।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button