संपादकीय : सिलिकॉन वैली में प्रधानमंत्री मोदी

modidigitalindia_27_09_2015प्रधानमंत्री की ताजा अमेरिका यात्रा पर विपक्षी दलों ने भले तंज कसे हों, लेकिन यह निर्विवाद है कि सिलिकॉन वैली की सूचना तकनीक (आईटी) कंपनियों के अधिकारी नरेंद्र मोदी पर मोहित हो गए। मसलन, प्रधानमंत्री के सामने सिस्को कंपनी के जॉन चैंबर्स ने भरोसा जताया कि मोदी ही भारत और दुनिया को बदलेंगे। इसी विश्वास का प्रतीक है कि दुनिया की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों ने भारत केंद्रित अपनी खास योजनाएं इस मौके पर घोषित कीं।

गूगल ने 500 रेलवे स्टेशनों पर मुफ्त वाई-फाई सेवा देने का ढांचा खड़ा करने में मदद का एलान किया, तो चिप निर्माता कंपनी क्वालकॉम ने भारत के लिए 15 करोड़ डॉलर के वेंचर कैपिटल फंड की घोषणा की। इस धन से वह मोबाइल और अन्य प्रकार की इंटरनेट सेवाएं देने की संरचना बनाएगी। माइक्रोसॉफ्ट ने पांच लाख गांवों तक कम लागत की ब्रॉडबैंड तकनीक पहुंचाने में सहायक बनने की बात कही है। इसके अलावा अगले हफ्ते वह भारत के डेटा सेंटर्स से क्लाउड कंप्यूटिंग का सिस्टम लगाने की योजना घोषित करेगी।

साफ है, प्रधानमंत्री ने आधुनिक तकनीक के महत्व पर जो बातें कहीं, उसने तकनीकी कंपनियों के कर्ताधर्ताओं के दिलों को छुआ। मोदी ने कहा कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, टि्वटर आज हमारे नए पड़ोसी हैं। इस पर गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा कि नरेंद्र मोदी जानते हैं कि तकनीक ही व्यापक बदलाव ला सकती है। यानी मोदी और तकनीकी कंपनियों की सोच में तारतम्य बना। इसका भारतीय आमजन को कितना फायदा होगा, यह भविष्य में जाहिर होगा।

कंपनियां अमूमन राजनेताओं की उपस्थिति में बड़े इरादे जताती हैं, लेकिन निवेश संबंधी उनके निर्णय अंतत: मुनाफे की गणना से संचालित होते है। यह बात पिछले 16 महीनों में मोदी की अनेक विदेश यात्राओं के दौरान निवेश संबंधी हुई घोषणाओं से भी जाहिर है। चूंकि उनमें से ज्यादातर पर अभी अमल नहीं हुआ, इसीलिए विपक्षी नेताओं को प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करने का मौका मिला है। मसलन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री को यहां तक सलाह दे डाली कि निवेश के लिए विदेश जाकर गिड़गिड़ाने से बेहतर होगा अगर भारत सरकार ‘मेक इंडिया” करे। केजरीवाल ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, इंसाफ आदि में निवेश हो तो विदेशी कंपनियां अपने-आप आकर ‘मेक इन इंडिया” करने लगेंगी।

कहा जा सकता है कि हालांकि केजरीवाल की बात में दम है, लेकिन उसे कहने के लिए उन्होंने गरिमामय भाषा का चयन नहीं किया। कांग्रेस, लालू प्रसाद, एनसीपी आदि की टिप्पणियों के बारे में भी यही बात कही जा सकती है। इसलिए कि मोदी को कम-से-कम इतना श्रेय तो दिया ही जाना चाहिए कि आईटी के सबसे बड़े केंद्र पर पहुंचकर उन्होंने सबसे बड़ी कंपनियों के सबसे बड़े अधिकारियों को भारत पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित कर दिया।

 
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button