फादर्स डे पर आपको बताएंगे ऐसे पिता की कहानी , संतान को कामयाब बनाने के लिए सात साल तक नहीं देखा टीवी

बिजनौर। कहते हैं बच्चों की पहली शिक्षक मां होती है, लेकिन उनकी कामयाबी के सबसे बड़ा हाथ उनके पिता का होता है। एक पिता अपने कठोर निर्णय और सख्त अनुशासन से संतान को अच्छा नागरिक बनाता है। उनकी छोटी-छोटी जरूरतों और सपनों को पूरा करने में वह अपना पूरा जीवन लगा देता है। फादर्स डे पर आपको बताएंगे ऐसा ही पिता की कहानी। जिन्होंने संतान को कामयाब बनाने के लिए सात साल तक घर में टीवी नहीं चलने दिया। घर में पढ़ाई का महौल तैयार किया और अपनी संतान के सपने पूरो किए।

बेटी आईईएस ऑफिसर, बेटा इंजीनियर

शहर की गांधी मार्केट निवासी 62 वर्षीय संतोष कुमार ने अपनी युवा अवस्था में काफी संघर्ष किया। वर्ष 1983 में शुगर मिल के पास शिव बाल विद्या निकेतन के नाम से एक जूनियर हाई स्कूल का संचालन किया। आसपास के गांव में शिक्षा की अलख जगाई। संतोष कुमार के एक पुत्री और एक पुत्र है। संतोष कुमार ने बच्चों की शिक्षा दीक्षा पर बड़ा ध्यान दिया। परिवार में पढ़ाई का माहौल तैयार करने के लिए घर में पति पत्नी दोनों ने ही करीब सात साल तक टेलीविजन तक नहीं देखा। संतोष कुमार की मेहनत को उनके बच्चों ने परवान चढ़ाया। दंपती ने अपनी जरूरतों को कम किया और दोनों बच्चों के सपने पूरा करने में पूरी ताकत लगा दी। उनकी पुत्री शिखा सैनी वर्ष 2003 बैच की आईईएस ऑफिसर और पुत्र शेखर सैनी भारत इलेक्ट्रानिक में इंजीनियर के पद पर कार्यरत है। आज संतोष कुमार बच्चों की कामयाबी के चलते खुश रहते हैं।

 

छोटा स्कूल खोला
संतोष कुमार का बचपन गांधी मार्केट में ही गुजरा। संतोष कुमार को बचपन से ही शिक्षा के प्रति लगाव रहा। उन्हें सरकारी नौकरी तो नहीं मिली पर अपनी मेहनत से गांधी मार्केट के पास ही एक छोटा सा स्कूल खोला। ताकि आसपास के गांवों के बच्चों को भी अच्छी शिक्षा प्राप्त हो सके। उनके स्कूल में गांव फरीदपुर भोगी, रसीदपुरगढ़ी, झलरी व नसीरी सहित दर्जनभर गांव के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने आते है। इस स्कूल की मेहनत के बल पर ही उन्होंने बच्चों में भी आगे बढ़ने की ललक उत्पन्न की।आज बच्चों के  कामयाब होने पर संतोष शर्मा  प्रसन्न हैं।

 

छोटी सी नौकरी में सात बेटों को बनाया कामयाब
शहर के मोहल्ला चाहशीरी बी-24 निवासी 80 वर्षीय मिर्जा जाकिर बेग के सात पुत्र हैं। सातों बेटे ही शिक्षा अर्जित कर कामयाब है। सबसे बडे़ पुत्र परवेज अख्तर बेग भारतीय स्टेट बैंक में प्रबंधक हैं। जावेद अख्तर बेग बिजनौर इंटर कॉलेज बिजनौर में शिक्षक हैं। तीसरे पुत्र तनवीर अहमद बेग सीआरपीएफ में इंस्पेक्टर हैं। सलीम अख्तर बेग बेसिक शिक्षा में जिला समन्वयक निर्माण हैं। सुहेल अख्तर बेग बेसिक शिक्षा में शिक्षक, आसिफ बेग चिकित्सक तथा एक पुत्र डॉ. आबिद अख्तर बेग होमियोपैथी के चिकित्सक हैं। मिर्जा जाकिर बेग के एक पुत्री है उसके पति भी किरतपुर में चिकित्सक हैं। मिर्जा जाकिर बेग का पूरा परिवार कामयाब होने से वह गदगद हैं। उन्हें खुशी है कि उनके बच्चों ने शिक्षा हासिल कर अपना मुकाम हासिल किया है। मिर्जा जाकिर बेग सिंचाई विभाग से 20 वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हुए थे। पर आज भी वह अपने बेटों के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।

संघर्ष के बाद मिली कामयाबी
बिजनौर। मिर्जा जाकिर बेग ब्लॉक किरतपुर के छोटे से गांव मुबारकपुर खोसा में पले बढे़। गांव में ही दीनी तालीम हासिल की तथा अपने पिता के कहने पर करीब 6 से 12 किलोमीटर की दूरी तय कर किरतपुर से हाईस्कूल की शिक्षा हासिल की। संघर्ष के दिनों में भी मिर्जा जाकिर बेग ने पढ़ाई जारी रखी तथा बाद में सिंचाई विभाग में कालागढ़ में लिपिक के पद पर तैनात हो गए। सीमित साधनों के बावजूद इन्होंने बच्चों को पढ़ाना जारी रखा। तभी से मिर्जा जाकिर बेग ने बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि उत्पन्न करने की ठान ली थी। उनकी मेहनत रंग लाई तथा सभी बच्चों ने सफलता प्राप्त की।

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