संघ के भरोसेमंद त्रिवेंद्र सिंह रावत के बारे में जानें 10 खास बातें

त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के 9वें मुख्यमंत्री होंगे. रावत के नाम पर विधायक मंडल दल की बैठक में मुहर लग चुकी है. त्रिवेंद्र सिंह रावत शनिवार को देहरादून के परेड मैदान में पीएम मोदी और अमित शाह की मौजूदगी में शपथ लेंगे. संघ के स्वयं सेवक से लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तक का सफर तय करने वाले त्रिवेंद्र सिंह के बारे में ये दस बातें बड़ी अहम हैं.संघ के भरोसेमंद त्रिवेंद्र सिंह रावत के बारे में जानें 10 खास बातें

त्रिवेंद्र सिंह रावत पौड़ी जिले के जयहरीखाल ब्लाक के खैरासैण गांव के रहने वाले हैं. यहां  सन् 1960 में प्रताप सिंह रावत और भोदा देवी के घर त्रिवेन्द्र सिंह ने जन्म लिया. त्रिवेंद्र रावत के पिता प्रताप सिंह रावत सेना की बीईजी रुड़की कोर में कार्यरत रहे हैं.

त्रिवेंद्र सिंह, 9 भाई बहनों में सबसे छोटे हैं. रावत की शुरुआती पढ़ाई लिखाई खैरासैण में ही हुई. त्रिवेन्द्र ने कक्षा 10 की परीक्षा पौड़ी जिले में ही सतपुली इंटर कॉलेज और 12वीं की परीक्षा एकेश्वर इंटर कॉलेज से हासिल की.

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शुरू से ही शांत स्वभाव वाले त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने लैंसडाउन के जयहरीखाल डिग्री कॉलेज से स्नातक और गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर से स्नातकोत्तर की डिग्री की.

श्रीनगर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए करने के बाद त्रिवेन्द्र सिंह रावत 1984 में देहरादून चले गये. यहां भी उन्हें आरएसएस में अहम पदों पर जिम्मेदारी सौंपी गई.

देहरादून में संघ प्रचारक की भूमिका निभाने के बाद त्रिवेन्द्र सिंह रावत को मेरठ का जिला प्रचारक बनाया गया. जहां उनके काम से संघ इतना प्रभावित हुआ कि इन्हें उत्तराखंड बनने के बाद 2002 में भाजपा के टिकट पर कांग्रेस के विरेन्द्र मोहन उनियाल के खिलाफ चुनावी मैदान में उतार दिया गया.

2002 में त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने डोईवाला से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

2007 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से भाजपा ने त्रिवेन्द्र सिंह रावत पर भरोसा जताया और वहां राज्य विधानसभा पहुंचने में सफल हुए. लेकिन वर्ष 2012 में अपनी परम्परागत सीट डोईवाला छोड़कर रायपुर से चुनाव लड़े, लेकिन यहां उन्हें कांग्रेस से हार का मुंह देखना पड़ा.

इसके बाद हरिद्वार से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद जब रमेश पोखरियाल निशंक ने डोईवाला सीट छोड़ी तो त्रिवेन्द्र सिंह रावत फिर से इस विधानसभा सीट से कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट के खिलाफ उपचुनाव में चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन फिर से उन्हें इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा.

पार्टी संगठन को त्रिवेन्द्र सिंह रावत की नेतृत्व क्षमता पर पूरा भरोसा था और इस दौरान उन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाया गया. साथ ही झारखंड़ जैसे राज्य का प्रभारी और लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तरप्रदेश के सह प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई जिसे उन्होंने बखूबी निभाया.

2017 के विधानसभा चुनाव में त्रिवेन्द्र सिंह रावत एक बार फिर से डोईवाला विधानसभा से चुनावी मैदान में उतरे और इस बार उन्होंने कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट को करारी हार दी.

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से रावत की नजदीकियों और संघ के भरोसेमंद स्वयंसेवक होने के कारण त्रिवेंद्र रावत आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच रहे हैं.

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