श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र में कल से भव्य पंचकल्याणक महोत्सव, होंगे विविध धार्मिक अनुष्ठान

जैसवाल जैन समाज द्वारा निर्मित श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र अब पूर्ण रूप से विकसित हो चुका है। इसे वर्तमान में विश्व का सबसे विशाल जैन तीर्थ क्षेत्र माना जा रहा है। आचार्य वसुंनंदी जी महाराज की प्रेरणा और आशीर्वाद से वर्ष 2014 में प्रारंभ यह निर्माण कार्य 11 वर्षों की साधना, सेवा और समर्पण के बाद अब अपने भव्य स्वरूप में सामने आया है। इस ऐतिहासिक अवसर पर 20 अप्रैल से 25 अप्रैल 2025 तक पंचकल्याणक महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। आचार्य वसुंनंदी जी महाराज के सान्निध्य में होने वाले इस समारोह में 41 साधु-साध्वियों की पावन उपस्थिति रहेगी, साथ ही जैनेश्वरी दीक्षाएं भी संपन्न होंगी। यह आयोजन धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अद्वितीय होगा।
श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र की शोभा भगवान शांतिनाथ की 54 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा से और भी अधिक निखर उठी है। यह प्रतिमा बिजोलिया से लाए गए एक ही विशाल पाषाण खंड से निर्मित की गई है। इसके अतिरिक्त, पद्मासन मुद्रा में विराजित 24 तीर्थंकरों की सवा 11 फीट ऊंची ‘जिन चौबीसी’ मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं, जो अपनी समान ऊंचाई और सौंदर्य के कारण विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। भव्य सिंहद्वार, चांदी और अष्टधातु की मूर्तियों से युक्त मंदिर परिसर तीर्थ क्षेत्र को दिव्यता और गरिमा प्रदान करता है।
महोत्सव के दौरान होने वाली शोभायात्राएं भी आकर्षण का मुख्य केंद्र होंगी। सजे-धजे हाथी, घोड़े, ऊंट, बग्घियां, महाराष्ट्र और गुजरात से आए पारंपरिक ढोल-नगाड़े तथा बैंड पार्टियां इस आयोजन को भव्यता प्रदान करेंगी। इसके अतिरिक्त आयोजन स्थल पर अस्थायी रूप से अयोध्या नगरी का भी निर्माण किया गया है, जहां पंचकल्याणक के प्रमुख अनुष्ठान संपन्न होंगे।
इस आयोजन में भाग लेने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा, केंद्रीय राज्य कृषि मंत्री भागीरथ चौधरी, जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत, अजमेर दक्षिण की विधायक अनीता भदेल सहित कई जनप्रतिनिधियों व उच्चाधिकारियों को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।
आचार्य वसुंनंदी जी महाराज ने नाका मदार क्षेत्र का नाम बदलकर ‘जैन नगर’ करने की मांग करते हुए कहा कि यह स्थान अब जैन संस्कृति, साधना और संस्कारों का केंद्र बन चुका है। उन्होंने बताया कि विगत 11 वर्षों से इस तीर्थ क्षेत्र में निरंतर शांतिधारा और शांति विधान आयोजित किए जा रहे हैं, जो एक विशिष्ट धार्मिक परंपरा और विश्व रिकॉर्ड बन चुके हैं। उन्होंने यह भी बताया कि तीर्थ क्षेत्र में स्थापित 24 तीर्थंकरों की समान ऊँचाई वाली मूर्तियां विश्वभर में कहीं और नहीं हैं, जो इस स्थल को वैश्विक पहचान दिलाएंगी।
जैन समाज के विभिन्न पदाधिकारियों ने राजस्थान सरकार से मांग की है कि आचार्य वसुंनंदी जी महाराज को ‘राज्य अतिथि’ का दर्जा प्रदान किया जाए, क्योंकि उनका योगदान संयम, संस्कार और समाज निर्माण में अनुपम और अनुकरणीय रहा है। यह पंचकल्याणक महोत्सव न केवल जैसवाल जैन समाज के लिए गौरव का विषय है, बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए एक अनूठी आध्यात्मिक उपलब्धि और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक बनकर सामने आएगा।