श्रीराम से भयभीत रावण को जब महाकवियों ने दी ये सलाह

महाकवियों की विशेषता होती है कि वो कथा के पात्रों में खलनायक का वर्णन करते हुए उनकी गलत आदतों के साथ अच्छी बातों का भी समावेश करते हैं, ताकि श्रोता के लिए अच्छे और बुरे का ज्ञान हो सके। रावण जब बहुत निराश हो गया तो महाकवियों ने ही निराशा के समुंदर में उसे डूबने से बचाया था।

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श्रीराम से भयभीत रावण को जब महाकवियों ने दी ये सलाह

मिल्टन अंग्रेजी भाषा के एक महान कवि हुए हैं। ईसाई धर्म की पवित्र ग्रंथ ‘पैराडाइज़ लास्ट’ उन्हीं की कृति है। इस ग्रंथ में भगवान के मानस पुत्र प्रभु ईसा के साथ देवताओं का वर्णन है। लेकिन इस ग्रंथ का मुख्य पात्र एक ‘शैतान’ है, जो भगवान के साथ लड़ता है। शैतान के अच्छे, बुरे विचारों के साथ महाकवि ने उसका वर्णन किया है।

ठीक इसी तरह शेक्सपियर के प्रसिद्ध नाटक ‘मर्चेंट ऑफ वेनिस’ में लोभी बनिए ‘शाइलाक’ की मनोदशा का बड़ा ही रोचक वर्णन है। बुरे पात्रों का वर्णन करते हुए आधुनिक महाकवियों ने भी उनका चरित्र चित्रण किया है।

हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ ‘रामायण’ में महर्षि वाल्मीकि ने रावण और कुंभकर्ण की अच्छाइयों के साथ बुराइयों का भी जिक्र किया है। उन्होंने इस महाकाव्य के जरिए इंसान के स्वभाव के कई रूप दिखाए हैं।

जब हनुमानजी लंका में अपना पराक्रम दिखा रहे थे तब रावण को बहुत लज्जित होना पड़ा। रावण का गर्व चूर हो चुका था। रावण की जिस लंका में परिंदा भी पर नहीं मारता था वहां, एक वानर ने इस तरह उत्पात किया कि लंका को भस्म ही कर डाला।

यहां तक की हरण की गईं माता सीता से भी हनुमानजी ने भेंट की। इस पूरे घटनाक्रम का परिणाम यह हुआ कि रावण ने श्रीराम को अपना शत्रु बना लिया। रावण, श्रीराम के पराक्रम को जानता था। लेकिन उसके चापलूस मंत्री नहीं।

उन्होंने रावण से कहा, ‘आप चिंता न करें लंकापति आपने यक्षों, कुबेर और देवताओं को देवासुर संग्राम में हरा चुके हैं। वरुण और यम जैसे देवों का हाथ जोड़कर प्राणों की भीख मांगते हैं। क्या आप भूल रहे हैं।’

लेकिन रावण की सभा में उपस्थित महाकवियों ने रावण को श्रीराम की अच्छे और बुरे तर्कों के साथ उसे सचेत किया। इस तरह रावण के मंत्रियों जिनमें से कवि भी शामिल थे उन्होंने रावण को प्रोत्साहन दिया और उसकी निराशा के समुंदर में डूबने से बचाया।

ये महाकवि ही थे जिन्होंने सदियों से राजा, महाराजा और न जाने इस जीव जगत के लोगों को अच्छा, बुरा का महत्व बताते हुए उन्हें सही दिशा दिखाई।

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