श्रीराम की पूजा करते हैं सभी, लेकिन वह किसकी करते थे आराधना


हनुमानजी के आराध्य देव प्रभु श्रीराम हैं। और श्रीराम देवी अंबाजी को अपना आराध्य मानते थे। जब वह सीता जी को रावण की कैद से मुक्त कराने के लिए लंका की ओर जा रहे थे। तब मार्ग में उन्हें माता अंबाजी का धाम मिला।
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यहां उन्होंने देवी का आराधना की। तब देवी अंबाजी ने प्रसन्न होकर उन्हें एक बाण दिया। जिससे प्रभु ने रावण की नाभि में मौजूद अमृत कुंड को नष्ट किया था।
अंबाजी मंदिर, मां शक्ति के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां श्रीयंत्र की पूजा होती है। जिसको कोई भी नहीं देख सकता है। यह मंदिर गुजरात-राजस्थान सीमा पर अरासुर पर्वत पर स्थित है।
मां अंबाजी के इस मंदिर को को अरासुरी अंबाजी और अरासुरी अम्बा भवानी मंदिर भी कहते हैं। यह मंदिर लगभग बारह सौ वर्ष से अधिक प्राचीन है। इस मंदिर का शिखर 103 फीट ऊंचा है और इस पर 358 स्वर्ण कलश स्थापित हैं।





