शुभ कामों में गणेश पूजा का महत्व, पढ़ें पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में भगवान गणेश की पूजा का महत्व शुभ और मांगलिक कार्यों में बहुत अधिक है। गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता है जो सभी बाधाओं को दूर करते हैं। गणेश जी की पूजा से कार्य में सफलता समृद्धि और खुशहाली मिलती है और यह वास्तु और शास्त्रों के अनुसार भी महत्वपूर्ण है।

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य चाहे वह विवाह हो, गृह प्रवेश, नामकरण, वस्त्र-पूजन या व्यवसाय की शुरुआत की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से करना अत्यंत शुभ और आवश्यक माना जाता है। उनका आशीर्वाद सभी बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करता है और कार्य में सफलता, सुख-शांति और समृद्धि सुनिश्चित करता है।

इसके पीछे न केवल धार्मिक और वास्तु शास्त्रीय कारण हैं, बल्कि पौराणिक कथाओं में भी इसका गहरा महत्व बताया गया है।

पौराणिक कथा
एक समय देवताओं में बहस छिड़ गई कि सबसे पहले किसकी पूजा होनी चाहिए। तब भगवान शिव ने एक प्रतियोगिता आयोजित की, जिसमें सभी देवताओं को ब्रह्मांड की परिक्रमा करनी थी। जो देवता सबसे पहले परिक्रमा पूरी करके लौटेगा, वही प्रथम पूज्य माना जाएगा।

गणेश जी ने इस चुनौती में केवल अपनी तीव्र बुद्धि का प्रयोग ही नहीं किया, बल्कि अपने माता-पिता शिव और पार्वती के प्रति अपने अनंत प्रेम और भक्ति का परिचय भी दिया। उन्होंने सीधे ब्रह्मांड की परिक्रमा करने के बजाय माता-पिता की परिक्रमा की, क्योंकि उनके लिए वे ही ब्रह्मांड के समान थे। उनकी यह भक्ति और विवेक देखकर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए और गणेश जी को प्रथम पूज्य घोषित किया।

विघ्नहर और आरंभ के देवता
भगवान गणेश को विघ्नहर यानी सभी बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं। वे हर शुभ कार्य की शुरुआत में राह में आने वाली हर मुश्किल को शांत कर देते हैं। इसलिए किसी भी मांगलिक कार्य को उनके आशीर्वाद के बिना शुरू करना अशुभ माना जाता है।

गणेश जी की पूजा के साथ किसी भी कार्य की शुरुआत करने से वह मार्ग सरल, सुरक्षित और सफल बन जाता है।

सफलता और समृद्धि का प्रतीक
गणेश जी की उपासना से न केवल कार्य में सफलता मिलती है, बल्कि जीवन में समृद्धि और खुशहाली भी बनी रहती है। उनका आशीर्वाद व्यक्ति के मन में उत्साह और आत्मविश्वास जगाता है, और हर प्रयास में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। उनके चरणों में श्रद्धा और भक्ति रखने वाला व्यक्ति हर कठिनाई को सहजता से पार कर सकता है।

धार्मिक और वास्तु शास्त्रीय दृष्टि
वास्तु और शास्त्रों के अनुसार, कोई भी मांगलिक या शुभ कार्य तभी पूर्ण फलदायी होता है जब उसकी शुरुआत शुभ मुहूर्त और गणेश पूजन के साथ की जाए। यह केवल परंपरा नहीं, बल्कि कार्य में मंगल, सकारात्मक प्रभाव और स्थायी सफलता सुनिश्चित करने का दिव्य मार्ग है।

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