शुक्र प्रदोष व्रत पर बन रहे हैं कई शुभ योग

आज शुक्र प्रदोष व्रत किया जा रहा है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए एक विशेष तिथि मानी गई है। इस दिन प्रदोष काल में शिव जी की पूजा-अर्चना की जाती है।

पंचांग के अनुसार, आज यानी शुक्रवार 19 सिंतबर के दिन आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। ऐसे में आज पितृ पक्ष का त्रयोदशी श्राद्ध किया जाएगा। चलिए आज के पंचांग से जानते हैं शुभ मुहूर्त और राहुकाल के विषय में।

आज का पंचांग
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि समाप्त – रात 11 बजकर 36 मिनट पर

सिद्ध योग – रात 8 बजकर 41 मिनट तक

करण
गरज – सुबह 11 बजकर 27 मिनट तक

वणिज – रात 11 बजकर 36 मिनट तक

वार – शुक्रवार

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय – सुबह 6 बजकर 8 मिनट से

सूर्यास्त – शाम 6 बजकर 21 मिनट पर

चंद्रोदय – प्रातः 4 बजकर 33 मिनट से

चंद्रास्त – शाम 5 बजकर 5 मिनट पर

सूर्य राशि – कन्या

चंद्र राशि – कर्क

शुभ समय
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक

अमृत काल – प्रातः 5 बजकर 35 मिनट से सुबह 7 बजकर 15 मिनट तक

अशुभ समय
राहुकाल – सुबह 10 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक

गुलिक काल – सुबह 7 बजकर 40 मिनट से सुबह 9 बजकर 11 मिनट तक

यमगण्ड – दोपहर 3 बजकर 18 मिनट से दोपहर 4 बजकर 50 मिनट तक

आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव आश्लेषा नक्षत्र में रहेंगे…

आश्लेषा नक्षत्र – सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक

सामान्य विशेषताएं: मजबूत, हंसमुख, उत्साही, चालाक, कूटनीतिक, स्वार्थी, गुप्त स्वभाव वाले, बुद्धिमान, रहस्यवादी, तंत्र-मंत्र में रुचि रखने वाले, तीव्र स्मृति वाले, नेतृत्वक्षम और यात्रा प्रिय।

नक्षत्र स्वामी: बुध देव

राशि स्वामी: चंद्रमा

देवता: नाग

प्रतीक: सर्प

आज का व्रत और त्योहार – शुक्र प्रदोष व्रत
शुक्रवार को पड़ने वाले प्रदोष काल के व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद का लगभग डेढ़ घंटे का समय होता है, जो शिव उपासना के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।

इस दिन भक्तजन उपवास रखते हैं और प्रदोष काल में शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और फल-फूल अर्पित करते हैं। माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति, दांपत्य प्रेम और समृद्धि बढ़ती है। अविवाहितों को योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है और घर-परिवार में सौहार्द बना रहता है।

शुक्र प्रदोष व्रत का मुख्य संदेश है शिव भक्ति से जीवन के कष्ट दूर होकर सौभाग्य, प्रेम और संतोष की प्राप्ति होती है।

त्रयोदशी की अवधि –
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ – 18 सितंबर रात 11 बजकर 24 मिनट

त्रयोदशी तिथि समाप्त – 19 सितंबर रात 11 बजकर 36 मिनट

शुक्र प्रदोष व्रत विधि –
प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।

पूरे दिन फलाहार या निर्जल उपवास रखें।

सूर्यास्त के समय प्रदोष काल में घर या मंदिर में शिवलिंग की पूजा करें।

शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, गंगाजल, दही आदि से अभिषेक करें।

बेलपत्र, धतूरा, सफेद पुष्प, चंदन और फल अर्पित करें।

दीपक जलाकर ओम नमः शिवाय मंत्र का जप करें और भगवान शिव की आरती करें।

माता पार्वती की भी पूजा करें और दांपत्य सुख की प्रार्थना करें।

पूजा के बाद व्रती को कथा श्रवण या शिव स्तुति करनी चाहिए।

अंत में प्रसाद ग्रहण कर व्रत का समापन करें।

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