शिवपाल के सेक्युलर मोर्चे का भी होगा गठबंधन, सपा बसपा की घोषणा चुनाव के साथ

लखनऊ। सपा से रूठे शिवपाल सिंह यादव के समाजवादी सेक्युलर मोर्चे का भी चुनावी गठबंधन होगा। ये गठबंधन छोटे दलों के साथ मिलकर किया जाएगा। वहीं बसपा और सपा के बीच गठबंधन की घोषणा ऐन चुनाव के वक्त होगी। गैर बसपाई गठबंधन में कांग्रेस की भूमिका अहम होगी।
गठबंधन का तरीका तकरीबन फाइनल स्टेज परआगामी लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच यूपी में होने वाले गठबंधन का तरीका तकरीबन फाइनल स्टेज पर है। शुरूआती तौर पर सबसे ज्यादा सीटें बसपा को फिर सपा को और उसके बाद बची हुई सीटों में अन्य दलों के उम्मीदवारों को टिकट दी जाएगी। फार्मूले के मुताबिक 40, 30 और 10 की गणित प्रस्तावित की गई है। यानीकि बसपा को 40 सीटें, सपा को 30 और अन्य दलों को बची हुई 10 सीटों में आपस में बाटना होगा।
ज्यादा सीटों के बाद भी सपा झुकने को तैयारलोकसभा में सपा के पास पांच सांसद हैं। 2017 के पहले तक सपा के पास सबसे ज्यादा विधायक थे। 225 का आंकड़ा वे पार किए हुए थे। इस बार भी भाजपा के बाद दूसरे नम्बर पर सपा ही है। बसपा यहां भी इस बार तीसरे स्थान पर है जबकि लोकसभा में बसपा का एक भी उम्मीदवार नहीं जीता था। अब ऐसी स्थिति में भी सपा झुकने को तैयार है। सपा मुखिया अखिलेश याादव का मानना है कि किसी भी तरीके से भाजपा को हराया जाए। लेकिन इस गठबंधन में वह कांग्रेस को ज्यादा तरजीह नहीं दे रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि गठबंधन कको लेकर एसपी और बीएसपी के साथ राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं से भी बातचीत हो रही है।
बसपा का जोर सबसे ज्यादा सीटों के लिएमहागठबंधन में अभी तक जो तौर तरीका तैयार किया गया है उसके मुताबिक बसपा को सबसे ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद है। बीएसपी 40 से कम सीट पर लडऩे को तैयार नहीं है। एसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी कह चुके हैं कि वह बीजेपी को दूर रखने के लिए किसी भी हाल में समझौता करने को तैयार हैं। अगर यही फार्मूला रहो तो बसपा को उसकी मनमानी 40 सीटें, सपा को 30 औरे कांग्रेस को 7 व रालोद को 3 सीटें दी जाएंगी। इस गठबंधन के विपरीत शिवपाल सिंह यादव उन दलों को साथ लेकर अगल से गठबंधन करने जा रहे हैं जो बीते चुनाव में बोट कटवा के रूप में जाने जाते थे, लेकिन उन्हें ठीकठाक वोट मिले और उनके विधायक भी जीते। पीस पार्टी को भी साथ ले सकते हैं।

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