शिखंडी कैसे बना भीष्म की मृत्यु का कारण

महाभारत ग्रंथ में ऐसी कई रोचक प्रसंग मिलते हैं, जो आपको हैरान करने के साथ-साथ कुछ-न-कुछ सीख भी देती हैं। आज हम आपको महाभारत से जुड़े उस प्रसंग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें यह बताया गया है कि किस तरह शिखंडी भीष्म पितामह की मृत्यु का कारण बना। चलिए जानते हैं इस बारे में।
महर्षि वेद व्यास द्वारा रचित महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच के हुए संघर्ष का वर्णन मिलता है। महाभारत का युद्ध इतिहास के सबसे भीषण युद्धों में से एक माना जाता है। शिखंडी भी महाभारत का एक पात्र रहा है, जो पिछले जन्म में एक स्त्री था। उसके स्त्री से पुरुष बनने की कथा बड़ी ही रोचक है। चलिए पढ़ते हैं शिखंडी के पूर्व जन्म की कथा।
पिछले जन्म में कौन था शिखंडी
महाभारत की कथा के अनुसार, एक बार काशी नरेश की तीन पुत्रियों अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का स्वयंवर हुआ, जिसमें राजकुमार शाल्व को चुना गया। इस दौरान भीष्म ने तीनों बहनों का बलपूर्वक अपहरण कर लिया, ताकि वह उनका विवाह हस्तिनापुर के राजा विचित्रवीर्य से करवा सकें। लेकिन अम्बा ने भीष्म को बताया कि वह शाल्व को अपना वर मान चुकी हैं, तो भीष्म ने उन्हें राजा शाल्व के पास जाने की अनुमति दे दी।
महादेव ने दिया ये वरदान
लेकिन शाल्व ने अम्बा को स्वीकार करने से मना कर दिया। इसके बाद अम्बा खुद को बहुत अपमानित और असहाय महसूस करने लगी। तब उसने भीष्म से प्रतिशोध लेने की प्रतिज्ञा ली और कठिन तपस्या की। भगवान शिव ने अम्बा को अगले जन्म में पुरुष बनकर जन्म लेने का वरदान दिया। अम्बा का पुनर्जन्म राजा द्रुपद के घर में शिखंडी के रूप में हुआ।
इस तरह लिया भीष्म से बदला
जब महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह का सामना शिखंडी से हुआ, तो भीष्म जानते थे कि यह अम्बा के रूप में शिखंडी है। इसी कारण से भीष्म ने उसपर हथियार नहीं उठाए। इसी का लाभ उठाते हुए अर्जुन ने शिखंडी को अपनी ढाल बनाया और भीष्म पितामह पर बाणों की बौछार कर दी। भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था, इसलिए अर्जुन के बाणों की शैया पर लेटने के बाद भी उन्होंने अपने प्राण नहीं त्यागे।