शकरपुर गांव के लोग सीवर और जाम की समस्या से परेशान

दिल्ली: गांव की मुख्य सड़क पर बस निकलती थी लेकिन आज अतिक्रमण के कारण पैदल निकलना भी मुश्किल हो गया है। सड़क पर घंटों जाम लगा रहता है जिस कारण लोगों को परेशानी होती है। पेयजल में भी गंदा पानी मिलकर आता है जिस वजह से लोग आरओ का इस्तेमाल या फिर बोतल का पानी खरीदकर पी रहे हैं।

कितने ताज्जुब की बात है न, जब चारों ओर ऊंची इमारतों से घिरी देश की राजधानी दिल्ली एक अलग ही चकाचौंध में नजर आती है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ इसी चकाचौंध से कोसों दूर दिल्ली के गांव एक अलग ही कुंठा में जी रहे हैं। ऐसा ही एक गांव है पूर्वी दिल्ली स्थित शकरपुर। यह गांव सीवर, पेयजल, जाम, सड़कों पर गड्ढे और अन्य समस्याओं से जूझ रहा है। स्थानीय निवासियों ने इन समस्याओं के सामधान के लिए कई बार प्रशासन से शिकायत की लेकिन समाधान के नाम पर आश्वासन ही मिला है।

महावीर तोमर, बालकराम तोमर, किशोरी तोमर, राजकुमार जैसवाल, रामसिंह व अन्य लोगों ने बताया कि चार गलियों के गांव में जल निकासी के लिए नाला नहीं बना है जिस वजह से नालियों का पानी घरों में भर जाता है। साथ ही 30 से 40 साल पहले बनी सीवर लाइन अब आबादी के मुकाबले छोटी है जिस वजह से सीवर ओवरफ्लो हो जाते हैं। ऐसे में गंदा पानी सड़कों पर बहता रहता है।

इसके अलावा कभी गांव की मुख्य सड़क पर बस निकलती थी लेकिन आज अतिक्रमण के कारण पैदल निकलना भी मुश्किल हो गया है। सड़क पर घंटों जाम लगा रहता है जिस कारण लोगों को परेशानी होती है। पेयजल में भी गंदा पानी मिलकर आता है जिस वजह से लोग आरओ का इस्तेमाल या फिर बोतल का पानी खरीदकर पी रहे हैं। गांव में दो से तीन स्कूल हैं जिनमें छुट्टी के दौरान असामाजिक तत्व स्कूल के बाहर खड़े होकर लड़कियों को परेशान करते हैं। इसके लिए प्रशासन को सुरक्षा के इंतजाम करने चाहिए।

स्थानीय लोगों ने साझा कीं समस्याएं
गांव में पहले एक कूड़ाघर था जिसे गौतम गंभीर की रसोई में बदल दिया गया। वह पिछले कई महीनों से बंद पड़ी है। प्रशासन से गुजारिश है कि इसमें गांव की डिस्पेंसरी खुलवा दी जाए जिससे गांव के लोगों को दवाएं मिल सकें।-मानसिंह

गांव के खंभों पर तारों का जाल बना हुआ है। इन तारों में फंसकर कई बार हादसे हो चुके हैं। -खेमचंद

गांव में साफ-सफाई ठीक से नहीं होती है। इस वजह से गांव की गलियों को कूड़ा पड़ा रहता है। -अशोक शर्मा

संजय पार्क में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है जिस वजह से टहलने जाने वाली गांव की महिलाओं और बेटियाें की सुरक्षा का खतरा रहता है। -लख्मी चंद त्यागी

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