वो जरूरी स्किल्स जो आधुनिक दुनिया की भागदौड़ में होते जा रहे गुम, जानें क्यों हो रहीं हैं गायब?

टेक्नोलॉजी ने जिंदगी बहुत आसान बना दी है, लेकिन इसकी तेज रफ्तार के बीच कई छोटी-छोटी पर बहुत जरूरी स्किल्स बिना शोर किए हमारे जीवन से गायब होती जा रही हैं।

हम एक ऐसे समय में जी रहे है, जहां हर समस्या का समाधान हमारी जेब में रखा मोबाइल फोन कर देता है। चाहे समय देखना हो, रास्ता ढूंढना हो, किसी का नंबर मिलाना हो या नोट्स बनाना हो। सब कुछ स्क्रीन पर हो जाता है। टेक्नोलॉजी ने जिंदगी बहुत आसान बना दी है, लेकिन इसकी तेज रफ्तार के बीच कई छोटी-छोटी पर बहुत जरूरी स्किल्स बिना शोर किए हमारे जीवन से गायब होती जा रही हैं। ये वो स्किल्स हैं जो कभी हर इंसान की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा थीं। अब धीरे-धीरे नई पीढ़ी इन्हें सीख ही नहीं रही और पुराने लोग इन्हें भूलते जा रहे हैं। आइए जानते हैं ऐसी पांच स्किल्स के बारे में जो आधुनिक दुनिया से चुपचाप गायब हो रही हैं।

कर्सिव लिखावट

कभी स्कूलों में कर्सिव राइटिंग सीखना गर्व की बात माना जाता था। अच्छी कर्सिव लिखावट देखकर टीचर्स भी खुश हो जाते थे। लेकिन आज बच्चों के हाथ में पेंसिल से ज्यादा टैबलेट और लैपटॉप देखने को मिलते हैं। डिजिटल टाइपिंग ने कर्सिव लिखावट को पीछे धकेल दिया है। अब नोट्स टाइप किए जाते हैं, असाइनमेंट प्रिंट होते हैं और कर्सिव लिखावट एक कला बनकर रह गई है। कुछ ही लोग इसे अब भी अच्छी तरह लिख पाते हैं।

एनालॉग घड़ी पढ़ना

घड़ी में घंटे और मिनट की सुई देखकर समय बताना अब धीरे-धीरे एक ‘पुरानी तकनीक’ जैसा लगने लगा है। स्मार्टफोन, डिजिटल वॉच और स्मार्टवॉच ने सब आसान कर दिया है। आज कई बच्चे एनालॉग घड़ी देखकर समय बताने में हिचकते हैं। कहीं-कहीं स्कूलों में यह स्किल अब सिखाई भी नहीं जाती। डिजिटल नंबर के आगे घड़ी की सुई फीकी पड़ गई है।

भौतिक मानचित्र का उपयोग

गूगल मैप्स ने दुनिया को नेविगेट करना बेहद सरल कर दिया है। एक क्लिक में रास्ता, दूरी, ट्रैफिक, सब कुछ मिल जाता है। ऐसे में कागज का नक्शा पढ़ना और दिशा समझना एक ‘पुराना हुनर’ बन गया है। पहले लोग उत्तर-दक्षिण, खंभों के नंबर, मोड़ों और निशानों से रास्ता ढूंढ लेते थे। आज अगर नेटवर्क चला जाए तो कई लोग होटल से कमरे तक लौटना भी मुश्किल समझते हैं।

फोन नंबर याद रखना

एक समय था जब लोग अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और जरूरी जगहों के नंबर याद रखते थे। 8–10 नंबर याद होना आम बात थी। आज मोबाइल फोन सब कुछ सेव कर लेता है। परिणाम यह है कि लोग अपने घर का लैंडलाइन नंबर भी भूल जाते हैं। अगर फोन खो जाए तो साथ ही आधे रिश्ते भी “कॉन्टैक्ट लिस्ट” में ही खो जाते हैं।

सिलाई और कपड़ों की मरम्मत

पहले हर घर में किसी न किसी को सिलाई, बटन लगाना या फटा सिलना आता ही था। यह रोजमर्रा के कामों में शामिल था। अब फटा कपड़ा अक्सर फेंक दिया जाता है। नए कपड़ों की आसान उपलब्धता और फास्ट फैशन ने इस स्किल को लगभग गायब कर दिया है। दरअसल, कई बच्चे तो बुनियादी बटन लगाना भी नहीं जानते।

क्या हम जरूरी स्किल्स खो रहे हैं?

टेक्नोलॉजी ने हमारे बहुत से काम आसान बनाए हैं। लेकिन कुछ स्किल्स ऐसी हैं जो सिर्फ उपयोगी ही नहीं, बल्कि हमें ज्यादा आत्मनिर्भर, समझदार और सक्षम भी बनाती थीं। इनका गायब होना हमें याद दिलाता है कि सुविधा अच्छी चीज है, लेकिन जिंदगी पूरी तरह स्क्रीन पर नहीं चल सकती। कभी-कभी पुरानी स्किल्स को फिर से सीखना, उन्हें दोबारा जिंदगी में लाना हमें और मजबूत बनाता है। शायद समय आ गया है कि हम इन छोटे-छोटे हुनरों को दोबारा अपनी रोजमर्रा की आदतों में शामिल करें।

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