एक रुपये का भी वेतन नहीं लेते थे वी.जी. सिद्धार्थ और उनकी पत्नी, पढ़े पूरी कहानी…
देश भर में कैफे कॉफी डे चेन की स्थापना करने वाले कर्नाटक के कारोबारी वी.जी. सिद्धार्थ का निधन हो गया है. ऐसा माना जा रहा है कि वे विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला नहीं कर पाए और उन्होंने नेत्रावती नदी में कूदकर जान दे दी. वे अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए हर तरह से प्रयास कर रहे थे. दिलचस्प बात यह है कि पिछले कई साल में कॉफी डे एंटरप्राइजेज के चेयरमैन एवं मैनेजजिंग डायरेक्टर सिद्धार्थ और उनकी पत्नी सहित कई गैर कार्यकारी निदेशकों ने एक रुपये की भी सैलरी नहीं ली थी.
वी.जी. सिद्धार्थ कंपनी के प्रमोटर थे. कंपनी की सालाना रिपोर्ट के अनुसार साल 2015-16 से 2017-18 के बीच कंपनी के इस प्रमोटर ने एक रुपये की भी सैलरी नहीं ली थी. यही नहीं, इस दौरान उनकी पत्नी समेत कई कार्यकारी निदेशकों को भी कोई वेतन नहीं दिया गया.
जिन गैर कार्यकारी निदेशकों को एक भी रुपये की सैलरी नहीं मिली उनमें सिद्धार्थ की पत्नी मालविका हेगड़े, केकेआर इंडिया के सीईओ संजय ओमप्रकाश नायर शामिल हैं. केकेआर मॉरीशस पीई इनवेस्ट्मेंट्स, कॉफी डे एंटरप्राइजेज में दूसरा सबसे बड़ा विदेशी कॉरपोरेट निवेशक है.
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सिद्धार्थ का सोशल मीडिया पर एक कथित अंतिम लेटर वायरल हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वे तमाम प्रयासों के बावजूद अपने कारोबार को सफल नहीं बना पाए. इस लेटर में उन्होंने इनकम टैक्स विभाग के एक पूर्व अधिकारी और एक पीई निवेशक द्वारा दबाव डालने की बात भी कही है, जिससे वह बहुत परेशान थे. उन्होंने कहा कि इस दबाव की वजह से कंपनी में नकदी की तंगी आ गई थी.
साल 2015 में जब सीसीडी का संचालन करने वाली कंपनी कॉफी डे एंटरप्राइजेज का आईपीओ आया था, तब इसके दस्तावेज में कंपनी ने बताया था कि उसके ऊपर 6,328 करोड़ रुपये का कर्ज है. इसके बाद से कंपनी ने अपने कर्ज को कम करने का लगातार प्रयास किया है. वित्त वर्ष 2018-19 में कंपनी की आय 4,624 करोड़ रुपये और मुनाफा 128 करोड़ रुपये था. इसकी सब्सिडियरी कंपनी कॉफी डे ग्लोबल लिमिटेड (CDGL) को 1,468 रुपये की आय हुई.
कर्नाटक के चिक्कमंगलुरु जिले में जन्मे सिद्धार्थ ने मंगलौर यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया था. उनकी शादी भारत सरकार के पूर्व विदेश मंत्री और महाराष्ट्र के गवर्नर रह चुके एस.एम. कृष्णा की बेटी से हुई थी, जो अब बीजेपी नेता हैं. कर्नाटक में 1996 में ही उन्होंने युवाओं के हैंगआउट के लिए कैफे कॉफी डे की शुरुआत की. ऐसा पहला आउटलेट बंगलौर में खोला गया. उनका यह कॉन्सेप्ट युवाओं में काफी लोकप्रिय रहा. आज पूरे भारत में करीब 1750 कैफे कॉफी डे हैं.