विश्व बैंक ने घटाया भारत के विकास दर का अनुमान, GST को ठहराया जिम्मेदार
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बाद अब विश्व बैंक ने भी आर्थिक विकास दर के अनुमान को घटा दिया है। बैंक ने इसके लिए नोटबंदी और जीएसटी को जिम्मेदार ठहराया है। वर्ष 2017-18 के लिए विश्व बैंक ने विकास दर के अपने 7.2 फीसद के अनुमान को घटाकर सात फीसद कर दिया है।
बैंक मान रहा है कि 2020 तक देश की विकास दर 7.4 फीसद तक ही सीमित रह सकती है। विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि अंतरराष्ट्रीय मानकों की वजह से देश में निजी क्षेत्र के निवेश पर असर पड़ सकता है। इसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
विश्व बैंक ने ‘दक्षिण एशिया इकोनॉमिक फोकस’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है। विश्व बैंक ने कहा है कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर प्रभावित हुई है। बैंक ने कहा है कि जीएसटी 2018 की शुरुआत तक इकोनॉमी को परेशान कर सकता है। हालांकि इसके साथ ही इकोनॉमी में सुधार की शुरुआत भी इस दौरान हो जाएगी।
जीएसटी का मैन्यूफैक्चरिंग पर ज्यादा असर-
विश्व बैंक ने कहा है कि जीएसटी के बाद मैन्यूफैक्चरिंग और सेवाएं काफी बड़े स्तर पर प्रभावित हुई हैं और इनमें काफी कमी आई है। बैंक के मुताबिक इकोनॉमी ग्रोथ से जुड़ी गतिविधियां एक तिमाही में स्थिर हो सकती हैं। इससे सालाना जीडीपी विकास दर 2018 में 7.3 फीसदी तक पहुंच सकती है।
आईएमएफ भी घटा चुका है अनुमान-
विश्व बैंक से पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाया है। आईएमएफ ने 2017 में वृद्धि दर का अनुमान 6.7 फीसदी लगाया है। यह अनुमान कोष के पिछले अनुमान से 0.5 फीसदी कम है। विश्व बैंक ने यह भी कहा है कि अगर सरकार की तरफ से ऐसी नीतियां लाई जाती हैं, जिससे सार्वजनिक खर्च में संतुलन बन सके तो निजी निवेश में वृद्धि हो सकती है।
इससे 2018 तक ग्रोथ 7.3 फीसदी तक पहुंच सकता है। बैंक के मुताबिक महंगाई और विदेश व्यापार की स्थितियां लगभग स्थिर रहेंगी। लगातार दो साल अच्छे मानसून की वजह से कीमतों में स्थिरता बनी रहने की उम्मीद की जा रही है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के प्रवाह को देखते हुए चालू खाते का घाटा भी दो फीसद के नीचे बने रहने का अनुमान है।
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विश्व बैंक का माना है कि अर्थव्यवस्था के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती निजी निवेश की स्थिति में सुधार की है। इसमें लगातार घरेलू स्तर पर बाधाएं आ रही हैं। बैंक का कहना है कि अगर इन बाधाओं को दूर नहीं किया गया तो निजी निवेश में कमी देश की विकास दर पर और दबाव बना सकती है।