विवेक तिवारी हत्याकांड: यूपी के पूर्व आईजी ने कहा, फर्जी मुठभेड़ें सिर्फ और सिर्फ एक हत्या है

लखनऊ. विवेक तिवारी हत्याकांड ने देश को हिलाकर रख दिया है। शनिवार सुबह से पुलिस प्रशासन व सत्ता के गलियारों में कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर विवेक तिवारी क्या कोई आतंकवादी था, क्या वह अपराध में लिप्त था जिसे पुलिस द्वारा निर्मम तरीके सो मौत के घाट उतार दिया गया। कुछ लोग इसे फर्जी इंकाउंटर भी कह रहे हैं, हालांकि इसको खारिज करते हुए सीएम योगी ने साफ कहा है कि लखनऊ में कोई एंकाउंटर नहीं हुआ है। इन सबके बीच उत्तर प्रदेश पुलिस के रिटायर्ड आईजी, विजय शंकर सिंह ने एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पर व्याख्या की है जो विचार करने योग्य है। उन्होंने कहा है ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’, यह शब्द किसने और कहां ईजाद किया है, यह मैं नहीं बता पाऊंगा। पर पुलिस के कुछ मुठभेड़ों की वास्तविकता जानने के बाद, यह शब्द हत्या का अपराध करने की मानसिकता का पर्याय बन गया है।
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मुठभेड़ों की हो सीआईडी से जांच तो कई पुुलिसकर्मी होंगे जेल के पीछे-
विजय शंकर सिंह ने यह माना है कि अगर सभी मुठभेड़ों की जांच सीआईडी से करवाई जाए तो बहुत कम पुलिस मुठभेड़ें कानूनन और सत्य साबित होंगी अन्यथा अधिकतर मुठभेड़ें हत्या में तब्दील हों जाएंगी और जो भी पुलिस कर्मी इनमें लिप्त होंगे वे जेल में हत्या के अपराध में या तो सज़ा काट रहे होंगे या अदालतों में बहैसियत मुल्ज़िम ट्रायल झेल रहे होंगे।
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तब पुलिस का नहीं देगा कोई साथ-
उन्होंने कहा कि जब पुलिस के एसआई, इंस्पेक्टर ऐसी मुठभेड़ों में जेल में होते हैं तो उनकी पीठ थपथपाने वाले अफसर और उनकी विरुदावली गाने वाले चौराहे के अड्डेबाज़ नेता, इनमें से एक भी मदद करने सामने नहीं आता है। उन्होंने कहा पुलिस का काम हत्या रोकना है, हत्यारे को पकड़ना है, सुबूत इकट्ठा कर अदालत में देना है, न कि फ़र्ज़ी कहानी गढ़ कर के किसी को गोली मार देना है।
पुलिस का काम कानून को लागू करना है-
उन्होंने आगे कहा कि लोग कहेंगे अदालत अपराधियो को छोड़ देती है। हत्यारों और अपराधियों को लंबे समय तक सज़ा नहीं मिलती है। उनकी जमानतें हो जाती है। वे सज़ायाबी का प्रतिशत भी दिखाएंगे और सारा दारोमदार पुलिस के ऊपर रख देंगे। पर जब पुलिस के अधीनस्थ अधिकारी मुठभेड़ सम्बंधी हत्या के किसी मामले में फंस कर, अपने जीपी फंड का पैसा वकीलों को दे कर, बदहवास हुये अदालतों का चक्कर काटते हैं तो यही लोग पैंतरा बदल कर रास्ता बदल देते हैं। यह सारा दारोमदार धरा का धरा रह जाता है। पुलिस का काम कानून को लागू करना है। और कानून में ही यह बात भी स्पष्ट है कि कौन सा कानून कैसे लागू किया जाएगा।





