वह कयामत की रात थी, छह गोले गिरे और घर खंडहर बन गया; बंकर ने बचाई जान, लेकिन पाक गोलों ने उजाड़ दी जिंदगी

वह आठ मई की रात थी। कयामत की रात थी। करीब आठ बजे होंगे कि सायरन की आवाज सुनकर हम पूरे परिवार के साथ पास में बने बंकर में जा छिपे। इसके लगभग 15 मिनट बाद पाकिस्तान की ओर से गोलों की बरसात होने लगी। वह भयानक मंजर था।
धमाके इतने तेज और शक्तिशाली थे कि लग रहा था भूकंप आ गया है। धमाके शांत होने के बाद भी हम बंकर से बाहर निकलने में डर रहे थे। जब काफी देर तक धमाका नहीं हुआ तो किसी तरह हिम्मत बांधकर हम बंकर से बाहर निकले, मगर तब तक घर खंडहर में तब्दील हो चुका था।
छह गोलों ने उजाड़ा आशियाना, चंद मिनटों में सब कुछ हुआ राख
उस रात पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी से पुंछ जिले के करमाडा गांव में बहुत नुकसान हुआ। ये बताते हुए मोहम्मद शरीफ की आंखें भर आईं। कहा, कुछ मिनटों में ही सब कुछ तबाह हो गया, मगर शुक्र है कि परिवार की जान बच गई। बंकर तक पहुंचने में जरा भी देर हो जाती तो हम सब मारे जाते। अकेले हमारे घर पर छह गोले गिरे, जिससे घर में आग लग गई और सारा सामान जलकर राख हो गया।
9.60 लाख की मेहनत की कमाई जल गई, अब सिर्फ जले हुए नोट बचे हैं
मोहम्मद शरीफ ने अपने पैतृक गांव कलानी तहसील मंडी में पुश्तैनी जमीन बेचकर नए घर के लिए 9.60 लाख रुपये जमा किए थे, लेकिन पाकिस्तानी गोलाबारी ने सब कुछ जलाकर राख कर दिया। जले हुए ये नोट अब भी खंडहर बन चुके घर में देखे जा सकते हैं। शरीफ कहते हैं, उन्हें नहीं पता था कि उनका पुराना घर भी रहने के काबिल नहीं रहेगा, नए घर की तो बात ही छोड़ दीजिए।
सिर्फ तन पर कपड़े बचे, बाकी सब कुछ छीन ले गई गोलाबारी
शरीफ के परिवार के सदस्यों के पास अब तन पर पहने कपड़ों के अलावा कुछ भी नहीं बचा है। वे अब सरकार और अन्य संगठनों से मदद की उम्मीद कर रहे हैं ताकि अपने जीवन को फिर से शुरू कर सकें।
सरकार से मदद की अपील
मोहम्मद शरीफ और उनके परिवार ने सरकार से मदद की अपील की है। वे चाहते हैं कि सरकार उनकी स्थिति समझे और उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान करे। शरीफ कहते हैं कि वे अब अपने जीवन को फिर से शुरू करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उन्हें सरकार की मदद की जरूरत है।
जीवन की नई शुरुआत
मोहम्मद शरीफ और उनके परिवार ने अब अपने जीवन को फिर से शुरू करने का फैसला किया है। वे सरकार और अन्य संगठनों की मदद से अपने जीवन को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। शरीफ कहते हैं, पुंछ की स्थिति को देखते हुए यहां के बाशिंदों के लिए सरकार को खास इंतजाम करने चाहिए।
यहां घरों के निर्माण बंकर की तरह होने चाहिए, ताकि इस तरह के नुकसान से बचा जा सके। घर की एक-एक ईंट खून-पसीने की कमाई से रखी थी, मगर वे ताश की पत्तों की तरह बिखर गए। पाकिस्तान को इसका खामियाजा भुगतना ही होगा। उसने कायरतापूर्ण तरीके से रिहायशी क्षेत्रों को निशाना बनाकर गहरे जख्म दिए हैं।
भारतीय सेना ने शुरू किया ऑपरेशन क्लीन पुंछ
पाकिस्तानी गोलाबारी के बाद जिंदा पड़े पाकिस्तानी गोलों को नष्ट करने के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन क्लीन पुंछ शुरू किया है। इस ऑपरेशन में पुलिस के सहयोग से भारतीय सेना की इंजीनियर रेजिमेंट बिना फटे पाकिस्तानी गोलों का पता लगाकर उन्हें सुरक्षित तरीके से विस्फोट कर नष्ट कर रही है।
गुरुवार को पुंछ के गांव खड़ी, करमाड़ा, अजोट और चक्कां दा बाग क्रॉस एलओसी ट्रेड सेंटर में पाकिस्तानी गोले नष्ट किए गए। सैन्य अधिकारी ने लोगों से बिना फटे मिलने वाले गोलों से दूर रहने और उनके बारे में पुलिस एवं सेना को जानकारी देने का आग्रह किया है।