वसुंधरा के तीखे तेवरों का क्या है राज? बयानों में रहना मकसद या आलाकमान के लिए कोई संदेश

करीब दो दशक तक राजस्थान में भाजपा का चेहरा रहीं वसुंधरा राजे के सियासी करियर को लेकर कयासों का दौर खत्म होता नहीं दिखाई दे रहा है। राजे के बयान और उनके तेवरों की चर्चा एक बार फिर से दिल्ली के गलियारों तक सुनाई दे रही है।

वसुंधरा राजे का सियासी भविष्य क्या होगा, इस पर सियासत के बाजार में अपने-अपने कयास हैं लेकिन उनके बयान और तंज की गूंज दिल्ली के गलियारों तक सुनाई देती है। इन दिनों राजे के नाम को लेकर दिल्ली में बहुत सी चर्चाएं चल रही हैं। फिलहाल वे पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और राजस्थान में अपने गृह क्षेत्र झालावाड़ से विधायक भी हैं।

रविवार को एक राजनीतिक कार्यक्रम में राजे का बयान उन्हें फिर से सियासी चर्चाओं के केंद्र में ले आया है। राजे ने भूतपूर्व सांसद व केंद्रीय मंत्री सांवरलाल जाट को याद करते हुए लिखा कि मौसम और इंसान कब बदल जाए कोई भरोसा नहीं। आजकल राजनीति में लोग नई दुनिया बसा लेते हैं, एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं, पर प्रो. सांवरलाल जाट ऐसे नहीं थे। वे मरते दम तक मेरे साथ थे। गौरतलब है कि कई नेता और विधायक पहले वसुंधरा की परिक्रमा करते नजर आते थे, जो कि अब दूरी बना रहे हैं। राजे की यह टिप्पणी नेताओं के व्यवहार में खुद को लेकर आए बदलाव को लेकर निराशा बता रही है।

सियासी मकसद-आलाकमान को संदेश
राजस्थान की राजनीति पर गहरी समझ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार मनीष गोधा का कहना है कि वसुंधरा राजे बीते कुछ समय से अपने बयानों को लेकर लगातार चर्चा में बनी हुई हैं। मोटे तौर पर देखा जाए तो इसके दो अर्थ निकलते हैं। एक तो उन्हें खुद की एक्जिस्टेंस शो करनी है। राजस्थान में अभी वे एक्टिव पॉलिटिक्स में शामिल नहीं हैं। उनके पास केंद्र में उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी है लेकिन जिस तरह का राजस्थान की राजनीति का माहौल है, उन्हें गाहे-बगाहे खुद को दिखाना भी है। दूसरा यह है कि अपने बयानों से आलाकमान को कहीं न कहीं संदेश भी देना है कि उनके सियासी तेवरों की धार अभी भी कम नहीं हुई है।

राजे के बयान जो चर्चाओं में रहे…
बीजेपी के जनकसुंदर सिंह भंडारी चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से उदयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में मंच से बोलते हुए राजे ने किसी का नाम लिए बगैर कहा था कि वफा का वो दौर अलग था, आज लोग उसी की अंगुली काटने का प्रयास करते हैं, जिसे पकड़कर वो चलना सीखते हैं।

झालावाड़ में पानी किल्ल्त के लिए उन्होंने कहा था कि जनता रो रही है और अधिकारी मस्त हो रहे हैं। ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।

सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर के सम्मान में आयोजित अभिनंदन समारोह के दौरान राजे ने कहा था कि ओम माथुर चाहे कितनी ही बुलंदियों पर पहुंच गए लेकिन इनके पैर हमेशा जमीन पर ही रहते हैं। इसीलिए इनके चाहने वाले भी असंख्य हैं। वरना कई लोगों को पीतल की लौंग क्या मिल जाती है, वे खुद को सर्राफ समझ बैठते हैं।

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