वल्लभभाई पटेल कैसे बने भारत के लौह पुरुष और सरदार? पढ़िए योगदान की कहानी

सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें भारत के लौह पुरुष के रूप में जाना जाता है, ने देश के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 565 रियासतों को भारत में विलय करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। बारदोली सत्याग्रह में उनके नेतृत्व ने उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि दिलाई। पटेल ने 1951 की पहली जनगणना की आधारशिला रखी और संविधान निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने न केवल देश का एकीकरण किया, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व और दूरदर्शिता ने भारत को एक मजबूत राष्ट्र बनाने में मदद की। आइए आधुनिक भारत के निर्माण में उनके योगदान पर नजर डालते हैं…
भारत का एकीकरण
1947 में जब भारत आजाद हुआ, सरदार पटेल उप प्रधानमंत्री बने। वे गृह मंत्रालय, सूचना व प्रसारण मंत्रालय और राज्य मंत्रालय के प्रभारी थे। उस समय भारत एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा था, क्योंकि देश का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा 565 रियासतों के अधीन था। उन्हें रियासतों को संघ में एकीकृत करने का कार्य सौंपा गया था। उन्होंने कुशलतापूर्वक इसे पूरा किया। जूनागढ़ और हैदराबाद में सेना भेजकर उन्हें स्वतंत्र भारत में शामिल होने के लिए मजबूर करने जैसे कड़े कदम उठाए। इन्हीं कड़े कदमों के कारण उन्हें भारत का लौह पुरुष कहा जाता है।
बारदोली सत्याग्रह का नेतृत्व
जिस तरह चंपारण सत्याग्रह ने महात्मा गांधी को राष्ट्रीय ख्याति दिलाई थी, वैसी ही प्रसिद्धि बारदोली सत्याग्रह ने वल्लभभाई पटेल को दिलाई थी। 1928 में गुजरात के बारदोली में किसानों ने उच्च करों के खिलाफ विरोध किया था। वल्लभभाई पटेल ने किसानों को सफलतापूर्वक संगठित कर ब्रिटिश कर वृद्धि के विरुद्ध जन आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे कर वृद्धि रद हो गई। इसके बाद ही वल्लभभाई को सरदार (नेता) की उपाधि दी गई थी।
पहली राष्ट्रीय जनगणना का बीड़ा उठाया
वल्लभभाई पटेल ने जनगणना के उद्देश्य को भी रेखांकित किया और इसके दृष्टिकोण का खाका खींचा। 1950 में अपनी मृत्यु से ठीक 10 महीने पहले, उन्होंने दिल्ली में जनगणना अधीक्षकों के एक सम्मेलन का उद्घाटन किया। सम्मेलन में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जनगणना भारत की प्रशासनिक नीतियों को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस तरह उन्होंने 1951 में शुरू हुई पहली जनगणना की आधारशिला रखी।
संविधान निर्माण में योगदान
वल्लभभाई पटेल भारत के संविधान निर्माण के लिए गठित संविधान सभा के सदस्य थे। उन्होंने संविधान निर्माण के लिए देश भर के प्रतिष्ठित लोगों को एकत्रित करने में महत्वपूर्ण INDIA भूमिका निभाई और आंबेडकर को प्रारूप समिति का सदस्य बनने के लिए राजी भी किया।
अखिल भारतीय सिविल सेवा की स्थापना में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
सिविल सेवाओं का जन्म ब्रिटिश शासन के शुरुआती वर्षों में हुआ था। स्वतंत्र भारत में इसके जारी रहने को लेकर कई लोग संशय में थे। वल्लभभाई पटेल स्वतंत्रता से पहले ही अंतरिम सरकार के गृह मंत्री के रूप में सिविल और पुलिस सेवाओं के भविष्य के मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रहे थे।
इसी उद्देश्य से उन्होंने अक्टूबर, 1946में प्रांतीय प्रधानमंत्रियों का एक सम्मेलन बुलाया था। उनका दृढ़ मत था कि भारतीयों को एकजुट रखने के लिए एक अखिल भारतीय योग्यता आधारित प्रशासनिक सेवा आवश्यक है। आइसीएस के स्थान पर भारतीय प्रशासनिक सेवा व भारतीय पुलिस सेवा के गठन में उनके प्रयासों की महत्वपूर्ण भूमिका थी।





