वराह जयंती आज, जानें पूजा विधि, मंत्र भोग और प्रिय फूल

आज वराह जयंती मनाई जा रही है जो भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है। इस दिन भक्त सुबह स्नान करके व्रत रखते हैं और भगवान वराह की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।

आज भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान विष्णु के तीसरे अवतार भगवान वराह की जयंती मनाई जा रही है। भगवान वराह ने देवी पृथ्वी को हिरण्याक्ष नामक राक्षस से बचाने के लिए यह अवतार लिया था। यह पावन दिन उनकी वीरता और पराक्रम का प्रतीक है। कहा जाता है कि जो साधक इस दिन सच्चे मन से उनकी पूजा करते हैं,

उन्हें जीवन में आने वाली हर बाधा से मुक्ति मिलती है, तो आइए इस दिन की सही पूजा विधि, मंत्र, भोग और उनके प्रिय फूल के बारे में जानते हैं।

पूजा की सही विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।

इसके बाद, भगवान वराह का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।

पूजा के लिए एक वेदी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।

उस पर भगवान वराह की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

सबसे पहले भगवान वराह की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं।

इसके बाद, उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं और हल्दी, कुमकुम, और चंदन का तिलक लगाएं।

भगवान वराह को पीले फूल और तुलसी के पत्ते जरूर अर्पित करें।

इसके बाद, उन्हें लड्डू, पंचामृत और पीले पल का भोग लगाएं।

मंत्र, कथा, चालीसा का पाठ करें।

अंत में आरती करें।

भगवान वराह के प्रिय भोग
भगवान वराह को मीठा बहुत पसंद है। उन्हें विशेष रूप से पीले रंग की मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। जैसे – केसरिया पेड़ा, हलवा, बूंदी के लड्डू, आदि। इसके अलावा, आप उन्हें मौसमी फल और मेवे भी अर्पित कर सकते हैं।

भगवान वराह के प्रिय फूल
भगवान वराह को पीले और सफेद रंग के फूल चढ़ाए जाते हैं। उनकी पूजा में गेंदे के फूल, चमेली और कमल के फूल शामिल कर सकते हैं।

पूजा मंत्र
ॐ श्री वराहाय नमः॥
ॐ नमो भगवते वराहरूपाय भूभुर्वस्वः पतये भू पतित्वं देहि ददापय स्वाहा॥

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