लोकसभा में मंजूर हुआ अमित शाह का जम्मू-कश्मीर में 6 महीने और बढ़ाने वाला राष्ट्रपति शासन प्रस्ताव
जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात के लिए कांग्र्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को दावा किया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने तब के गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की सहमति के बिना कश्मीर के एक भाग को पाकिस्तान को दे दिया। उन्होंने राज्य को धर्म के आधार पर बांटने को देश के पहले प्रधानमंत्री की सबसे बड़ी भूल भी बताया। साथ ही जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 पर कहा कि यह अस्थायी व्यवस्था है अस्थाई नहीं।
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन छह महीने के लिए बढ़ाने के विधेयक पर लोकसभा में चर्चा के दौरान शाह ने कहा ‘किसने कश्मीर में सीजफायर का फैसला लिया? ये जवाहर लाल नेहरू ने किया और कश्मीर का बड़ा हिस्सा (गुलाम कश्मीर) पाकिस्तान को दे दिया। आप कहते हैं कि हम लोगों को विश्र्वास में नहीं लेते हैं, लेकिन नेहरू जी ने उस समय के गृह मंत्री को भरोसे में लिए बिना ये फैसला लिया। इसलिए मनीष जी (मनीष तिवारी) हमें इतिहास मत समझाइए।’ जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को बढ़ाने के लिए मनीष तिवारी द्वारा सरकार की आलोचना करने पर शाह ने कांग्र्रेस पर तीखा प्रहार किया।
उन्होंने कहा, ‘वे कह रहे हैं कि हम जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को खत्म कर रहे हैं। इस समय से पहले, अब तक वहां 132 बार अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) लगाया गया है, इनमें से 93 बार यह कांग्रेस ने किया है। अब ये लोग हमें लोकतंत्र सिखाएंगे?’ इससे पहले, जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन छह महीने के लिए बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गावों के लोगों को नियंत्रण रेखा के समीप रहने वाले लोगों की तरह आरक्षण का लाभ देने के दो विधेयकों पर लोकसभा ने मुहर लगा दी।
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आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति : गृहमंत्री शाह ने साफ किया कि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में इंसानियत, जम्हूरियत, और कश्मीरियत की नीति पर ही काम कर रही है। लेकिन आतंकवाद के खिलाफ उसकी ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति है। वहां जिसके भी मन में भारत विरोध है, उसके अंदर डर पैदा होना चाहिए।