लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं, पार्टी कहेगी तो कहीं से भी उतरूंगा : भूपेंद्र सिंह हुड्डा

चंडीगढ़: वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बुधवार को लोकसभा चुनाव लड़ने की अनिच्छा जताई. साथ ही यह भी दोहराया कि अगर पार्टी चाहेगी तो वह कहीं से भी चुनावी समर में उतरेंगे. उनके सोनीपत से चुनाव लड़ने की अटकलें चल रही हैं. लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं, पार्टी कहेगी तो कहीं से भी उतरूंगा : भूपेंद्र सिंह हुड्डा

हुड्डा ने इन अटकलों पर स्पष्टीकरण दिया. उन्होंने कहा कि वह 2019 का लोकसभा चुनावनहीं लड़ना चाहते लेकिन अगर पार्टी चाहेगी तो राज्य की किसी भी सीट से किस्मत आजमाने को तैयार हैं. दो बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हुड्डा ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर लोकसभा चुनाव में उतरते हैं तो वह उनके सामने ताल ठोकने में हिचकेंगे नहीं. खट्टर करनाल से विधायक हैं.

उन्होंने कहा, “मैं लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहता, लेकिन मैं अपनी पार्टी का अनुशासित सिपाही हूं. मेरी पार्टी मेरी प्राथमिकता है. पार्टी जो कहेगी, मैं उसका पालन करूंगा.” सोनीपत से चुनाव लड़ने की संभावना के सवाल पर हुड्डा ने कहा, “मैं कह चुका हूं कि पार्टी जो कहेगी, मैं करूंगा.” 

हुड्डा ने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हरियाणा की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करेगी. उन्होंने कहा कि पार्टी एक सप्ताह के भीतर सभी प्रत्याशियों के नाम तय करेगी. हरियाणा में मतदान छ्ठे चरण में 12 मई को होगा. मतगणना 23 मई को होगी.  

हुड्डा ने खट्टर पर कई दीपेंदर सिंह हुड्डा की संपत्ति बढ़ने के आरोप पर पलटवार भी किया. उन्होंने इन आरोपों को निराधार बताया. दीपेंदर सिंह हुड्डा, भूपेंदर सिंह हुड्डा के बेटे हैं. कुछ बीजेपी नेताओं के इस आरोप कि दीपेंदर इसलिए सांसद बनें क्योंकि उनके पिता मुख्यमंत्री थे, इसके जवाब में हुड्डा ने कहा, “मैं जब रोहतक से चार बार सांसद चुना गया तब मेरे पिता मुख्यमंत्री नहीं थे.”

उन्होंने आगे कहा, “जब मैंने देवीलाल को रोहतक से हराया था तब मेरे पिता मुख्यमंत्री नहीं थे. बीजेपी नेताओं के पास प्रदर्शन के लिए कुछ नहीं है, यही वजह है कि वे ऐसी आधारहीन बाते कर रहे हैं.” दीपेंदर हुड्डा 2014 के चुनाव में हरियाणा से जीत दर्ज करने एकमात्र कांग्रेसी नेता थे. उन्होंने रोहतक सीट से विजय हासिल की थी जिसे हुड्डा परिवार की परंपरागत सीट माना जाता है. 

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