लैपटॉप से सामने आएगा एडीजीपी पूरण कुमार की आत्महत्या का सच

हरियाणा: एडीजीपी वाई पूरण कुमार आत्महत्या मामले में अदालत के आदेश के बाद पुलिस ने मृतक का लैपटॉप कब्जे में ले लिया। अदालत ने लैपटॉप देने और डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी ट्रांसफर प्रक्रिया रिकॉर्ड करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद परिजनों ने पुलिस को लैपटॉप सौंप दिया।

परिजनों की ओर से अदालत में पेश वकील ने बताया कि परिवार कभी लैपटॉप देने से इन्कार नहीं कर रहा था लेकिन पुलिस तकनीकी कारणों से इसे पहले रिकवर नहीं कर पाई थी। अदालत ने परिवार की मांग मानते हुए स्पष्ट किया कि लैपटॉप का डेटा सुरक्षित रखा जाए और ट्रांसफर प्रक्रिया रिकॉर्ड की जाए।

पुलिस अब लैपटॉप को जांच के लिए सीएफएसएल भेजेगी। इसमें एडीजीपी के फिंगरप्रिंट्स से मिलान किया जाएगा और लैपटॉप में मौजूद फाइनल नोट व ईमेल्स की पड़ताल की जाएगी कि उन्हें किन लोगों को भेजा गया था।

डिजिटल जांच अब प्राथमिक

एडीजीपी वाई पूरण कुमार ने 7 अक्तूबर को सेक्टर-11 स्थित अपने आवास पर खुद को गोली मार ली थी। परिजनों की सहमति से 15 अक्टूबर को पीजीआई में पोस्टमार्टम कराया गया। अब पुलिस की जांच मुख्य रूप से डिजिटल साक्ष्यों, विशेषकर लैपटॉप और फोन के डेटा पर केंद्रित होगी।

आईपीएस के पास चंडीगढ़ कैसे पहुंच गई गनमैन की पिस्टल?

उधर, एडीजीपी पूरण कुमार के गनमैन सुशील की गिरफ्तारी कहां से हुई, यह सवाल कई स्थानीय पुलिसकर्मियों की नींद उड़ाए हुए है। कारण चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी है। वह पता करेगी कि पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार उसे रोहतक से पकड़ा गया था तो उसकी पिस्टल वाई पूरण कुमार के पास चंडीगढ़ कैसे पहुंच गई? एडीजीपी ने गनमैन की ही सरकारी पिस्टल से सुसाइड किया था। मंगलवार को एएसआई संदीप लाठर ने भी सुसाइड से पहले पुलिस व परिजनों को भेजे वीडियो में कहा था कि गनमैन को गिरफ्तार करने वाली टीम में वह भी शामिल थे। बताते हैं कि लोकेशन संदीप ने ही ट्रेस की थी।

रकम जब्त क्यों नहीं की?

संदीप की बात से ऐसा भी ध्वनित हुआ कि गिरफ्तारी कहीं और से हुई थी। हालांकि, वीडियो में जगह का जिक्र नहीं है। यह जरूर कहा कि सुशील की गिरफ्तारी के वक्त कार में ड्राइवर भी था। दावा किया था कि रास्ते में सुशील ने बताया था कि रिश्वत की रकम कार के डैशबोर्ड में छूट गई है। अगर संदीप का यह दावा सही है तो सवाल उठता है कि रोहतक पुलिस ने कार को पकड़कर तलाशी क्यों नहीं ली? रकम जब्त क्यों नहीं की? कहीं ऐसा तो नहीं कि सुशील ने कार में ही पिस्टल छोड़ दी हो जिसे ड्राइवर ने चंडीगढ़ में एडीजीपी पूरण कुमार तक पहुंचा दी?

बहरहाल, संदीप की बातों, कयासों और आशंकाओं में कितनी सच्चाई है, इसका पता तो प्रकरण की जांच कर रहे डीएसपी गुलाब सिंह और चंडीगढ़ की एसआईटी ही बताएगी। वहीं, संदीप के सुसाइड के बाद ऐसी चर्चा भी तेजी से फैली कि शराब कारोबारी संदीप बंसल से मंथली मांगने के आरोपी गनमैन पर एफआईआर व गिरफ्तारी को लेकर एसआईटी ने पूछताछ के लिए संदीप को बुलाया था। इसी कारण पूरे महकमे की नींद उड़ी हुई है। इस बारे में पुलिस के एक अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध पर संदीप को पूछताछ के लिए बुलाए जाने की बात का खंडन किया। बाकी सवालों पर चुप्पी साध ली।

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