लैंड फॉर जॉब में लालू यादव के खिलाफ चार्जशीट पर बिहार की नजर

राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के लिए ऐसा दिन कई बार आ चुका है। चारा घोटाले से लेकर लैंड फॉर जॉब घोटाले तक में। लेकिन, आज की तारीख लालू प्रसाद यादव के परिवार के लिए भी खास है और राष्ट्रीय जनता दल की राजनीति के साथ बिहार में विपक्ष की दशा-दिशा के लिए भी। बिहार विधानसभा चुनाव में जिस तरह लालू प्रसाद लगभग सीन से बाहर रहे, उनका परिवार बिखरा; आज लैंड फॉर जॉब मामले में चार्जशीट पर फैसले के बाद भविष्य की रूपरेखा भी खिंच जाएगी। सिर्फ लालू ही नहीं, तेजस्वी यादव का भी भविष्य साफ हो सकता है।

तेजस्वी बेहद खास दिन विधानसभा से गायब; आज क्या होगा?
पटना में राष्ट्रीय जनता दल के कार्यालय के बाहर से लालू प्रसाद पूरी तरह गायब हो चुके हैं। परिवार के संकट पर कुछ करते नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में आज अगर फैसला उनके हित में नहीं आया तो बिहार की 243 में से 202 सीटें जीतकर सरकार बनाने वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सामने और ज्यादा कमजोर विपक्ष नजर आना तय है। राजद में लालू प्रसाद यादव के बाद, लेकिन उनसे ज्यादा ताकतवर दिख रहे उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव नेता प्रतिपक्ष चुने जाते समय भी बिहार विधानसभा में मौजूद नहीं थे। सरकार गठन के बाद पहला और विशेष सत्र के बावजूद। नई घोषणाओं और पुरानी योजनाओं के लिए बजट में बदलाव की जानकारी पहले से सदन में दी गई थी, इसके बावजूद। यानी, लालू परिवार में सबकुछ सहज नहीं चल रहा है। आज भी तेजस्वी यादव रहेंगे, इसकी पुष्टि नहीं हो पा रही है। आज दिल्ली की अदालत में लैंड फॉर जॉब मामले पर आरोपपत्र को लेकर अहम फैसला आना है। इसमें लालू के साथ पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव भी नामजद हैं।

नौकरी के बदले जमीन लेने की बातें पुष्ट, कोर्ट की मुहर लगेगी आज
लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री रहते नौकरी देने के लिए जमीनें लिखवाई थीं, यह बातें कई तरह के प्रमाण के साथ सामने आ चुकी हैं। आज उन प्रमाणों पर कोर्ट की मुहर लगनी है। कोर्ट अगर केंद्रीय जांच ब्यूरो की ओर से समर्पित प्रमाणों पर आरोप पत्र तय करने के लिए पर्याप्त मानता है तो लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव पर सीधा असर पड़ेगा। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने 10 नवंबर को इस मामले की सुनवाई के दौरान आरोप पत्र को लेकर आदेश का फैसला 4 दिसंबर के लिए टाल दिया था। सीबीआई ने जो कागजात दाखिल किए हैं, उसके अनुसार रेलवे में ग्रुप-डी श्रेणी की नियुक्तियों के लिए जमीनें लिखवाई गई थीं।

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