राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद खराब मौसम के कारण द्रास नहीं पहुंच पाए इसीलिए मुख्य समारोह में करनी पड़ी तबदीली

बीस साल पहले कारगिल में पाकिस्तान को भारतीय सेना द्वारा दी गई करारी शिकस्त की यादें कारगिल विजय दिवस पर ताजा हो आई। दुश्मन काे करारी मात दे कारगिल की चोटियों को आजाद करवाने वाले सेना के शहीदों की कुर्बानियों को कारगिल के द्रास में याद किया गया। भारतीय सेना की वीरता की गूंज कारगिल की चोटियों के पार दुश्मन तक भी पहुंची।
मुख्य कार्यक्रम कारगिल की पहाड़ियों की ओट में बने द्रास वार मेमोरियल में हुआ। यहां पर सशस्त्र सेनाओं के तीन प्रमुखों ने शहीदों को सलामी दी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद खराब मौसम के कारण द्रास नहीं पहुंच पाए इसीलिए मुख्य समारोह में तबदीली करनी पड़ी। ऐसे में थलसेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल बीएस धनोआ, नौसेना प्रमुख एडमिरल कर्मवीर सिंह ने शुक्रवार सुबह कारगिल की चोटियों पर दुश्मन को तबाह करते शहादत देने वाले सेना, वायुसेना के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर पूर्व थलसेना अध्यक्ष जनरल बीपी मलिक, कारगिल शहीदों के परिजन, सेवानिवृत सैनिक व वीरों के परिजन भी मौजूद थे।
राज्यभर में सेना मुख्यालयों में शहीदों को किया याद
द्रास के साथ राज्य में सेना की उत्तरी कमान की चौदह, पंद्रह व सोलह कोर मुख्यालयों के साथ पश्चिमी कमान की टाइगर डिवीजन ने भी बीसवें कारगिल विजय दिवस पर अपने शहीदों को याद किया। सेना के इन कार्यक्रमों में कारगिल के युद्ध में सेना की उपलब्धियों के साथ उन 527 जवानों, अधिकारियाें के योगदान पर प्रकाश डाला गया जो दुश्मन को मात देते वीरगति को प्राप्त हुए। युद्ध लड़ते हुए सेना के 1360 वीर घायल हुए थे। इस दौरान वीरों की कुर्बानियों से प्रेरणा लेते हुए सेना के अधिकारियों व जवानों ने शहीदों के पद्चिन्हों पर चलने का प्रण भी लिया।
सेना के चीता हेलीकाप्टरों ने वार मेमोरियल पर फूल बरसाए
द्रास में कारगिल विजय दिवस का कार्यक्रम वार मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने के साथ हुआ। सेना के चीता हेलीकाप्टरों ने सजाए गए वार मेमोरियल पर फूल बरसाए। आर्मी कमांडर के साथ सेना, भारतीय वायुसेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि दी। श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद शहीदों की याद में बिगुल पर सैनिकों की लास्ट पोस्ट धुन ने सबकाे भावुक कर दिया। हर आंख में उन सैनिकाें के लिए आंसु थे जिन्होंने दुर्गम चोटियों को आजाद करवाने के लिए अपनी जान दे दी।
शहीदों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता
आर्मी चीफ ने कार्यक्रम में हिस्सा लेने वालों को संबोधित करते हुए कहा कि शहीदों के याेगदान को कभी भुलाया नही जा सकता है। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से सेना शहीदाें के योगदान को याद कर उनसे प्रेरणा लेती है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि भारतीय सेना दुश्मन के मंसूबों को कभी भी कामयाब नही होने देगी। उन्होंने द्रास से पाकिस्तान को भी चेतावनी दी कि फिर ऐसी गलती दोहराई गई तो खून के आंसू रोने पड़ेंगे।
शहीदों के परिजनों की परेशािनयों को हल करना सेना की जिम्मेदारी
कार्यक्रम के दौरान आर्मी, एयरफोर्स व नेवी चीफ ने कारगिल युद्ध के शहीदों के परिजनों, पूर्व सैनिकों व वीर नारियों से भी बातचीत की। उन्हाेंने कहा कि शहीदों के परिजनों, वीर नारियों के मसलों का समाधान करना सेना की जिम्मेदारी है। कारगिल शहीदों को याद करने के साथ ही द्रास में कारगिल दिवस के उपलक्ष्य में खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रम चले। इनमें स्थानीय निवासियों ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। इस दौरान पाेलो व टैंट पैगिंग प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया था।