राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जुमला बन गया था ये स्लोगन

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राष्ट्रीय चिंतन से ओत प्रोत हैं। सरकार किसी की रही हो राष्ट्रीय कार्यक्रमों के लिए कार्य करते रहे हैं। वह बालिका शिक्षा पर हमेशा जोर देते रहे। साक्षरता मिशन का स्लोगन ‘पढ़ी लिखी लड़की रोशनी है घर की’ उनका जुमला बन गया था।
देखा जाए तो राज्यसभा में जाने के बाद उन्होंने सांसद निधि का ज्यादातर हिस्सा शैक्षिक संस्थानों में ही खर्च की है। क्षेत्र में ऐसा कोई शैक्षिक संस्थान नहीं होगा, जहां पर उनके नाम का शिलापट लगा न हो। शिक्षा के प्रति उनके समर्पण को लोग याद कर रहे।
स्मृतियों को साझा करते हुआ कानपुर देहात जीजीआईसी की पूर्व प्रधानाचार्य सीता यादव ने बताया कि 1994 और 2000 में राज्यसभा सदस्य बनने के दौरान कोविंद का शिक्षण संस्थाओं के विकास पर जोर रहा। कोविंद कहते हैं कि शिक्षा से ही देश की तरक्की संभव है।
खासकर देहात की शिक्षण संस्थाओं में विकास कराने के पक्षधर रहे। बताया कि महिला और पुरुष एक ही गाड़ी के दो पहिये हैं। एक पहिया रुक जाएगा तो गाड़ी ठहर जाएगी। कई संस्थाओं में निर्माण के लिए निधि मुहैया कराई। को-एजुकेशन वाले रामस्वरुप ग्राम उद्योग परास्नातक विद्यालय प्रमुख है। कोविंद ने राजकीय बालिका इंटर कालेज में कई शिक्षण कक्षों का निर्माण कराया। विद्यालय में आयोजित कई सामाजिक कार्यक्रमों शिरकत की।
राज्यसभा सदस्य रहे रामनाथ कोविंद हमेशा पेयजल समस्या पर गंभीर रहे। किल्लत मद्देनजर बीहड़ पट्टी के गावों में हैंडपंप लगवाए। शहरी क्षेत्रों में सामुदायिक पानी की टंकियां भी रखवाईं।लगभग 20 साल पहले कानपुर देहात जनपद के राजपुर और अमरौधा विकासखंड क्षेत्रों में गर्मी के दिनों में अक्सर पीने के पानी की किल्लत हो जाती थी। कुएं सूख जाने पर तलहटी के निवासी यमुना नदी से पानी उपलब्ध करते। पीने के पानी के लिए इकलौते हैंडपंपों पर ग्रामीणों को रातों लाइन लगानी पड़ती। कई बार पानी के लिए मारामारी भी हुई।