राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पशुओं को बताया जीवन धन, कहा- इनके बिना मानव कल्याण की भावना अधूरी

बरेली में भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के 11वें दीक्षांत समारोह में सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि प्लेग महामारी के बाद अस्तित्व में आए इस संस्थान ने पशुओं की बीमारियों के निदान से लेकर जैव सुरक्षा तक नए आयाम स्थापित किए हैं। यहां से डिग्री लेने वाले विद्यार्थियों को चाहिए कि वह सर्वे भवंतु सुखिन: की भावना से बेजुबान पशुओं के कल्याण के लिए काम करें। पशु नहीं, वास्तव में ये जीवन धन हैं। इनके बिना मानव कल्याण की भावना अधूरी है।

राष्ट्रपति ने डिग्री लेने वाले छात्र-छात्राओं से कहा कि पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने के लिए सभी जीव-जंतुओं का निरोग होना आवश्यक है। मानव, प्रकृति व पशु, सभी एक-दूसरे पर आधारित हैं। हाल के कुछ वर्षों में गिद्ध विलुप्त हो गए। यह शायद रासायनिक दवाओं के अंधाधुंध इस्तेमाल का दुष्प्रभाव है। हमें खुशी है कि वैज्ञानिक इन दवाओं के दुष्प्रभाव पर भी काम कर रहे हैं। नए पशु चिकित्सक और वैज्ञानिक भी इस दिशा में काम करें।

वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत देश के हर जिले में वैज्ञानिकों की दो हजार टीमें भेजी जाएंगी। वे किसानों को आधुनिक कृषि, उन्नत नस्लों, तकनीकी खेती और बागवानी की जानकारी देंगी। वैज्ञानिक अब सिर्फ लैब तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि खेत और खलिहान तक जाकर किसानों से जुड़ेंगे।

सीएम बोले- मूक पशुओं को आपसे मिलेगा नया जीवन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पशुओं की मूक आवाज और समस्या आप लोग ज्यादा बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। आपके उपचार से पशुओं को नया जीवन मिलेगा। आपसे अपेक्षा है कि अपने ज्ञान से पशुओं की बीमारियों के निदान, टीकाकरण आदि पर जोर दें। उन्होंने कोरोना के दौर में आईवीआरआई की महत्वपूर्ण भूमिका का जिक्र किया। कहा कि उस दौर में पशु चिकित्सा से इतर मानव जीवन बचाने के लिए इस संस्थान ने प्रदेश सरकार की मदद करते हुए दो लाख से ज्यादा कोविड परीक्षण किए।

वैज्ञानिक गांवों में जाएंगे तो दूर होगी समस्या : राज्यपाल
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि वैज्ञानिक व चिकित्सकों को चाहिए कि वे गांवों में जाकर पशुओं से संबंधित रोगों के निदान पर काम करें। गांव में किसान व महिलाएं आपको इस बारे में ज्यादा बेहतर तरीके से बताएंगी, तभी आप अच्छा उपचार कर सकेंगे। आप लोग पशु चिकित्सा व शोध के लिए सरकार से आर्थिक मदद ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि जिन विद्यार्थियों को मेडल नहीं मिला है, वह निराश न हों। इसके लिए अभी से और ज्यादा मेहनत करें।

22 को पदक, 576 को मिली उपाधि
समारोह के दौरान 22 मेधावियों को पदक मिले। वर्ष 2021 से 2024 तक के 576 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गई। इनमें बीवीएससी एडं एएच के 41, एमवीएससी के 328 और पीएचडी के 207 विद्यार्थी शामिल रहे। विद्यार्थियों और वैज्ञानिकों को विभिन्न श्रेणियों में 35 विशिष्ट अवार्ड भी दिए गए। इसमें दो को मानद उपाधि, 14 को उत्कृष्ट महिला छात्र एवं वैज्ञानिक पुरस्कार व 19 विशिष्ट अवार्ड शामिल हैं।

बेटियां पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी आगे आ रही हैं, यह शुभ संकेत
राष्ट्रपति ने कहा कि आज पदक पाने वाले विद्यार्थियों में बड़ी संख्या छात्राओं की है। यह देखकर गर्व हो रहा है। बेटियां अन्य क्षेत्रों की तरह पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी आगे आ रही हैं। यह बहुत ही शुभ संकेत है। ज्यादातर जगहों पर पशुपालन व खेती-बाड़ी का काम परिवार की महिलाएं ही संभालती हैं। अब इस क्षेत्र से बेटियों का जुड़ाव देखकर मुझे अच्छा लगा।

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