राम मंदिर निर्माण में ‘आधार कार्ड’ बना रोड़ा, रामलला का हो रहा लाखों का नुकसान

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ‘राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट का गठन किया जा चुका है. हालांकि आधार कार्ड नहीं होने से बैंक में रामलला के खाते में जमा इस रकम को फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) नहीं किया जा सका है. जिसके कारण रामलला के खाते में बड़ा नुकसान हो रहा है.
दरअसल, राम मंदिर पर सुनवाई के दौरान रामलला को खुद एक व्यक्ति के तौर पर अदालत ने मान्यता दी थी. यहां तक कि रामलला की तरफ से वकीलों ने बहस भी की थी. रामलला कानूनी तौर पर व्यक्ति हैं. इसकी मान्यता के बाद राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला भी आया. लेकिन रामलला को करोड़ों का नुकसान हो रहा है. रामलला के नाम से बैंक अकाउंट तो है लेकिन उनकी एफडी नहीं हो पा रही है.
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दरअसल, एफडी करवाने के नए नियम के मुताबिक एफडी कराने वाले का आधार कार्ड होना चाहिए. आधार कार्ड के लिए बायोमेट्रिक पहचान जरूरी है लेकिन रामलला का आधार कार्ड नहीं बन पाया क्योंकि उनकी कोई बायोमेट्रिक पहचान नहीं है. रामलला के अकाउंट में करोड़ों रुपए हैं. कुछ पुराने एफडी में भी जमा है लेकिन अब बैंकों के नए नियम के मुताबिक नई एफडी तब तक नहीं हो पाती, जब तक एफडी कराने वाले व्यक्ति का आधार कार्ड न हो.
सेविंग अकाउंट में पैसा
रामलला के रिसीवर के तौर पर कमिश्नर को रखा गया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद डीएम को नया रिसीवर बना दिया गया, जो रामलला के चढ़ावे के कस्टोडियन माने जाते हैं. लेकिन रामलला के नाम से एफडी करने के लिए रिसीवर के आधार कार्ड को नहीं माना गया. ऐसे में रामलला के नाम आने वाले चढ़ावे का पूरा पैसा बैंक में तो जमा होता रहा लेकिन वह एफडी नहीं हो पाया. पिछले कुछ सालों से करोड़ों रुपया सिर्फ बैंक के चालू खाते यानी सेविंग बैंक अकाउंट में पड़े हैं.
रामलला के अकाउंट में इस वक्त 10 करोड़ से ज्यादा रुपये जमा हैं लेकिन अगर ये पैसा एफडी में जमा होता तो अब तक यह पैसा लगभग 2 गुना हो चुका होता. सरकार के नियम के बाद से रामलला के अकाउंट में पड़े पैसे पर अब सिर्फ सेविंग अकाउंट का साधरण ब्याज मिल रहा है.
हर साल लाखों का नुकसान
रामलला के मुख्य पुजारी सतेंद्र दास का कहना है कि बैंकों ने रिसीवर का आधार कार्ड इस्तेमाल करने की सहमति तो दी थी लेकिन फिर रिसीवर के खाते में टैक्स की देनदारी बन जाती. ऐसे में चढ़ावे की रकम को बिना एफडी किए बैंकों के सेविंग बैंक एकाउंट में ही रखा गया है और रामलला को हर साल लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है.