राम मंदिर के साथ जुड़ी अब एक नई जिद, इर्दगिर्द न रहेगा बाबर का नाम और न ही मस्जिद
डेस्क। आगामी 2019 के लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही काफी हद तक एक बार फिर राम मंदिर मुद्दा ठीक उसी तरह गर्मा रहा है जिस तरह 1992 में गर्माया था। वहीं जानकारों की मानें तो मौजूदा हालातों में जहां केन्द्र की मोदी सरकार अपने कार्यकाल की कोई ऐसी छाप तो नही छोड़ पाई जिसे चुनाव का मुद्दा बनाया जा सके। जिसके चलते भाजपा ने हालांकि एक टेस्ट के तहत मंदिर मुद्दे को उभारा तो पाया आज भी हो सकता हे इसके बूते वारा न्यारा। उसकी ही बानगी है कि मंदिर मुद्दे को अब बखूबी धार दी जाने लगी है।
गौरतलब है कि जिस तरह से आज उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव मौर्या और केन्द्रीय मंत्री उमा भारती समेत गिरी राज सिंह ने तीखे तेवर अख्तियार करते हुए बयान दिए हैं। उससे जाहिर है कि भाजपा एक बार फिर चुनावी वैतरणी मंदिर मुद्दे के सहारे पार करना चाहती है। और जिस तरह से सोशल मीडिया ओर लोगों में इस मुद्दे पर रूझान देखने को मिल रहे हैं उससे काफी हद तक ये तय लग रहा है कि भाजपा का ये दांव कारगर रहेगा।
दरअसल एक बार फिर बेहद ही साफ लहजे में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा कि राममंदिर कोर्ट का मामला है। इसलिए अभी डेट नहीं बता सकते। लेकिन यह तय है कि रामलला की जगह भव्य मंदिर बनेगा, वहां कोई बाबर का स्मारक नहीं बनेगा। विपक्षी दल के गठबंधन के सवाल पर डिप्टी सीएम का कहना था कि उनका गठबंधन फेल हो चुका है।
वहीं जबकि इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने रविवार को कहा कि दुनिया में हिंदू ‘सबसे सहिष्णु’ रहा है, लेकिन अयोध्या में राम मंदिर की परिधि के आसपास मस्जिद बनने की किसी तरह की बात हिंदुओं को ‘असहिष्णु’ बना सकती है। उमा ने कहा, ‘मैं सभी राजनीतिक पार्टियों से अपील करती हूं कि भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में मंदिर के इर्दगिर्द मस्जिद बनाने की बात कहकर हिंदुओं को ‘असहिष्णु’ बनने पर मजबूर न करें।’
इसी तरह केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने रविवार को कहा कि दुनिया की कोई भी ताकत राम मंदिर को बनने से नहीं रोक सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार और न्यायालय को आगे आकर इस मामले को सुलझा लेना चाहिए क्योंकि मंदिर निर्माण में हो रही देरी को लेकर लोगों में आक्रोश है। गिरिराज ने कहा कि राम मंदिर को लेकर देश के लोगों का सब्र का बांध टूटता जा रहा है। इसके अलावा साधु-संत भी अपनी तरफ से आंदोलन की चुतावनी दे चुके हैं।