सचमुच होती हैं जलपरी! रामायण में है उल्लेख
महर्षि वाल्मीकि ने सर्वप्रथम संस्कृत भाषा में रामायण लिखी थी। यह रामायण बाद में लिखी गईं सैकड़ों रामायण में सबसे सटीक और प्रमाणित मानी गई है। लेकिन यह बहुत दिलचस्प है कि एक ऐसी भी रामायण है जिसमें जलपरी का उल्लेख मिलता है।
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रामायण के थाई और कम्बोडियाई संस्करणों में रावण की एक बेटी का उल्लेख मिलता है। जिसका नाम ता सुवर्णमछा (सोने की जलपरी) का विस्तार से उल्लेख मिलता है। थाई रामायण के अनुसार ही जब हनुमानजी लंका तक सेतु बनाने का कार्य कर रहे थे। तब वह सुवर्णमछा उन पर मोहित हो गईं थी।
ठीक इसी तरह हिंदू पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि श्रीहरि ने अपना पहला अवतार मत्स्य का लिया था। मत्स्य अवतार में उनके कमर के नीचे का भाग मछली का था और ऊपरी भाग मनुष्य की तरह था।
भारत ही नहीं ग्रीक पौराणिक और लोककथाओं में जलपरियों का उल्लेख मिलता। ठीक इसी तरह चीन, अरब की कई लोक कथाओं में जलपरियों के बारे में उल्लेख मिलता है। हालाकि जलपरी को काल्पनिक चरित्र ही माना जाता है।