राजा की एक अनोखी सोच ने बदल दी थी पूरे शहर की पहचान…

राजस्थान की राजधानी जयपुर (Jaipur Pink City History) की स्‍थापना महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1727 में की थी। ये शहर गुलाबी शहर के नाम से भी जाना जाता है। जयपुर के गुलाबी शहर (History Of Pink City) बनने के पीछे की कहानी बड़ी द‍िलचस्‍प है। गुलाबी रंग मेहमाननवाजी के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।

भारत में घूमने फिरने वाले जगहों की कमी नहीं है। यहां बसे हर एक शहर की एक खास पहचान है, जो उसे दूसरों से अलग बनाती है। कुछ शहर अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाने जाते हैं, तो कुछ अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए। ऐसा ही एक शहर है जयपुर, जिसे लोग प्यार से ‘पिंक सिटी’ कहते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर जयपुर को ये नाम क्यों मिला?

नाम सुनते ही दिमाग में खूबसूरत इमारतें, रंगीन बाजार और राजसी हवेलियां घूमने लगती हैं। इस शहर की एक खास बात है जो इसे पूरे देश में अलग पहचान देती है। लेकिन वो क्या है, जो इस शहर को ‘गुलाबी’ बना देती है? क्या यह सिर्फ इमारतों का रंग है या इसके पीछे कोई रोचक कारण छिपा है?

अगर आप भी जयपुर की इस अनोखी पहचान के पीछे की सच्चाई जानना चाहते हैं, तो आपको इसके इतिहास को जानने के लिए हमारा लेख पढ़ना होगा। आज हम आपको जयपुर के पिंक सिटी (Why Jaipur Is Called Pink City) बनने की पूरी कहानी बताएंगे। आइए जानते हैं विस्तार से-

कब हुई थी जयपुर की स्थापना?
आपको बता दें कि राजस्थान की राजधानी जयपुर शहर की स्थापना 18 नवंबर, 1727 में कछवाहा वंश के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने करवाई थी। इसके लिए उन्होंने बंगाल के मशहूर वास्तुकार विद्या धर भट्टाचार्य की मदद ली और रूपरेखा तैयार की। आपको जानकर हैरानी होगी कि जयपुर का नाम भी महाराजा के नाम पर ही पड़ा। जयसिंह का जय लेकर इस शहर का नाम जयपुर रख गया।

पहले सफेद और पीले रंग का हुआ करता था जयपुर
अब आप सोच रहे होंगे कि इस शहर को पिंक सिटी के नाम (Origin Of Pink City Name) से क्यों जाना गया? तो हम आपको बता दें कि इसकी कहानी भी बेहद दिलचस्प है। बताया जाता है कि शहर की स्थापना होने म करीब 100 साल बाद जयपुर को पिंक सिटी के नाम से जाना गया था। पहले जयपुर का रंग सफेद और पीला हुआ करता था। लेकिन 19वीं सदी में जब क्वीन एलिजाबेथ और प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट भारत दौरे पर आए थे। उस दौरान उनके जयपुर शहर घूमने की भी योजना थी।

इस वजह से गुलाबी रंग में डूब गया था पूरा शहर
महाराजा सवाई उनके स्वागत की तैयारियों में कोई कमी नहीं रहने देना चाहते थे। तभी उनके मन में ख्याल आया कि क्यों न पूरे जयपुर शहर को गुलाबी रंग में रंगवा दिया जाए। इसके बाद ही पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंगवा दिया गया। जब महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस ऑफ वेल्स जयपुर पहुंचे तो यहां की खूबसूरती और सजावट की तैयारियां देख मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने महाराजा को इस शाही स्वागत के लिए धन्यवाद दिया। उस दाैरान महाराजा सवाई जयसिंह ने ये फैसला किया कि अबसे पूरा जयपुर शहर गुलाबी रंग का ही रहेगा।

मेहमाननवाजी का प्रतीक है गुलाबी रंग
आप जब भी जयपुर जाते होंगे तो आपने भी नोटिस किया होगा कि जयपुर पिंक नजर आता है। अब इसकी दिलचस्प कहानी को जानने के बाद आपके मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि सिर्फ गुलाबी रंग ही क्यों चुना गया। तो हम आपको बता दें कि पिंक को आतिथ्य यानी कि मेहमाननवाजी का प्रतीक माना जाता है। इस रंग के लिए हम अपने मेहमान का सम्मान व्यक्त करते हैं। बस तभी से जयपुर Pink City के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर हो गया।

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