राजस्थान: संविधान के मूल ढांचे को लेकर गहलोत का BJP-RSS पर तंज

गहलोत ने कहा कि बार-बार ऐसे बयान देकर देश के सामाजिक ताने-बाने को छेड़ने और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को चुनौती देने वालों पर अदालत को स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्रवाई करनी चाहिए। ताकि कोई भी व्यक्ति या संगठन संविधान से ऊपर होने का दुस्साहस न कर सके।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर संविधान विरोधी मानसिकता रखने का आरोप लगाते हुए उन्हें कठघरे में खड़ा किया है। गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट कर संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले के संविधान की प्रस्तावना में बदलाव संबंधी बयान को संविधान विरोधी सोच का खुला प्रमाण बताया।

गहलोत ने लिखा कि पिछले दो दिन से संविधान की रक्षक होने का नाटक कर रही BJP-RSS की असली मंशा दत्तात्रेय होसबले के बयान से सामने आ गई है। इन संगठनों का उद्देश्य हमेशा से संविधान को बदलना रहा है। अब ये सुप्रीम कोर्ट से ऊपर स्वयं को मानकर ऐसे बयान दे रहे हैं जो न्यायपालिका की अवमानना की श्रेणी में आते हैं।

गहलोत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘संविधान बचाओ’ मुहिम को उचित ठहराते हुए कहा कि BJP-RSS की सोच और प्रयास संविधान के मूल स्वरूप को बदलने के हैं। उन्होंने याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट ने 1973 में केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामले में स्पष्ट किया था कि ‘पंथनिरपेक्षता’ और ‘समाजवाद’ भले ही मूल संविधान में लिखित नहीं थे, लेकिन वे संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा हैं।

उन्होंने आगे बताया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1976 में इन दोनों शब्दों को 42वें संशोधन के जरिए प्रस्तावना में शामिल किया था, जिसे मिनर्वा मिल्स केस (1980) में सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया। इसके अलावा एस.आर. बोमई बनाम भारत सरकार (1994) और हाल ही के बलराम सिंह केस (2024) में भी शीर्ष अदालत ने पंथनिरपेक्षता एवं समाजवाद को संविधान के मूल तत्व माना।

गहलोत ने कहा, बार-बार ऐसे बयान देकर देश के सामाजिक ताने-बाने को छेड़ने और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को चुनौती देने वालों पर अदालत को स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्रवाई करनी चाहिए। ताकि कोई भी व्यक्ति या संगठन संविधान से ऊपर होने का दुस्साहस न कर सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button