राजस्थान में पशुओं की नस्ल सुधार के लिए पहली लैब

मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि बस्सी की यह लैब नस्ल सुधार और डेयरी विकास में मील का पत्थर साबित होगी। साथ ही यह अन्य राज्यों को भी डोज की आपूर्ति कर डेयरी सेक्टर में नए अवसर पैदा करेगी।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के ‘समृद्धि का विश्वास’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘डेयरी सेक्टर में आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को साकार करने की दिशा में राजस्थान ने बड़ा कदम उठाया है। पशुपालन, गोपालन, डेयरी एवं देवस्थान विभाग के मंत्री जोराराम कुमावत के प्रयासों से 11 अगस्त 2025 से बस्सी में नस्ल सुधार और डेयरी विकास के लिए प्रदेश की पहली सीमन लैब शुरू हो रही है। यह लैब एनडीडीबी और राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (आरसीडीएफ) के संयुक्त संचालन में चलेगी।

आधुनिक तकनीक से तैयार होगी 75% सस्ती डोज
एनडीडीबी ने चेन्नई से अत्याधुनिक दो मशीनें बस्सी भेजी हैं। रविवार को इनका ट्रायल होगा और सोमवार को विधिवत उद्घाटन किया जाएगा। लैब में सालाना 25 लाख से अधिक डोज तैयार होंगी, जो आयातित डोज की तुलना में 75% सस्ती होंगी। यहां मुर्रा भैंस, हॉलस्टियन फ्रोजियन (एचएफ), क्रॉसब्रिड एचएफ, गिर, साहीवाल, थारपारकर और राठी, इन सात देशी व विदेशी नस्लों का सीमन तैयार किया जाएगा।

90% से अधिक मादा संतान की संभावना
सीमन तकनीक में मादा शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाई जाती है, जिससे मादा संतान (बछिया) पैदा होने की संभावना 90% से अधिक रहती है। इससे न केवल दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होगी, बल्कि पशुपालकों की आय भी बढ़ेगी और आवारा पशुओं की समस्या पर नियंत्रण मिलेगा।

नस्ल सुधार और डेयरी विकास में मील का पत्थर
राजस्थान की अर्थव्यवस्था में पशुपालन का योगदान 10% और कृषि-पशुपालन मिलाकर 22% है। दुग्ध उत्पादन में प्रदेश देश में दूसरे स्थान पर है। मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि बस्सी की यह लैब नस्ल सुधार और डेयरी विकास में मील का पत्थर साबित होगी। साथ ही यह अन्य राज्यों को भी डोज की आपूर्ति कर डेयरी सेक्टर में नए अवसर पैदा करेगी।

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