राजस्थान में पंचायत व निकाय चुनाव पर संशय: OBC आरक्षण और परिसीमन अब भी अधर में

राजस्थान में पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। राज्य निर्वाचन आयोग ने हाल ही में कार्यकाल पूरा कर चुकी पंचायतों और निकायों में मतदाता सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं, जबकि परिसीमन की अधिसूचना अब तक जारी नहीं हुई है।

राजस्थान में राज्य निर्वाचन आयोग ने सरकार के विरोध के बावजूद पंचायत व शहरी निकाय चुनावों को लेकर चुनाव कार्यक्रम की प्रक्रिया शुरू कर दी। राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के सम्बन्ध में हाल में की गई एक टिप्पणी को आधार बनाते हुए कार्यकाल पूरा कर चुकी पंचायतों और नगरीय निकायों में मतदाता सूची तैयार करने के निर्देश शुक्रवार को जारी कर दिए इधर सरकार बार-बार यह बयान दे रही है कि वह वन स्टेट वन इलेक्शन के तहत सभी पंचायतों और निकायों के चुनाव एक साथ करवाएगी। पर राज्य निर्वाचन आयोग ने सरकार की बात को अनसुना कर दिया। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार राजस्थान में पंचायत और शहरी निकायों के चुनाव हो पाएंगे या राज्य सरकार अब भी वन स्टेट वन इलेक्शन के तहत चुनाव करवाने की स्थिति में है।

3 नवंबर तक मतदाता सूचियां तैयार करने को कहा-
राज्य निर्वाचन आयुक्त ने कलक्टरों से कहा है कि पंचायत चुनाव की मतदाता सूचियां 29 अक्टूबर तक और निकाय चुनाव की मतदाता सूचियां तीन नवम्बर तक तैयार कर लें ताकि इन पंचायतों और नगरीय निकायों में चुनाव कराए जा सकें। कलक्टरों को निर्देश दिए हैं कि मतदाता सूचियो के लिए एक जनवरी 2025 को आधार बनाया जाए और विधानसभा के लिए तैयार सात जनवरी को 2025 को प्रकाशित सूची को काम में लें।

कलक्टरों से कहा गया है कि मतदाता सूची तैयार करने के लिए प्रगणकों की नियुक्ति तुरंत करें और निकाय चुनाव के लिए 11 सितम्बर से यह काम शुरू कर दें, वहीं पंचायतों के लिए दस सितम्बर से काम शुरू कर दें। गौरतलब है कि मधुकर गुप्ता ने दो दिन पहले ही राजस्थान उच्च न्यायालय की टिप्पणी को आधार बनाते हुए जल्द प्रक्रिया शुरू करने और चुनाव घोषित करने के संकेत दिए थे। इसके साथ ही उन्होंने सरकार के वन स्टेट वन इलेक्शन के निर्णय पर भी सवाल उठाते हुए इसे अव्यवहारिक बताया था।

जानिए क्या कहते हैं निर्वाचन विभाग से जुड़े जानकार
कानून अनिवार्यता नहीं- निर्वाचन विभाग के ही सूत्र कहते हैं कि राज्य निर्वाचन आयुक्त ने भले ही मतदाता सूचियां तैयार करने के लिए कह दिया है लेकिन इस आदेश की कोई कानूनी अनिवार्यता नहीं है और सरकार अब भी अपने हिसाब से ही चुनाव करवा सकती है। दरअसल राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता का कार्यकाल इसी साल 17 सितंबर को पूरा हो रहा है। अब इसके बाद सरकार यहां नए निर्वाचन आयुक्त को लगाएगी। नए निर्वाचन आयुक्त चाहें तो फिर से नया चुनाव कार्यक्रम भी जारी कर सकते हैं।

परिसीमन अभी शेष: – राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची तैयार करने का निर्णय लेकर कार्यक्रम तो जारी कर दिया है, लेकिन बिना परिसीमन के चुनाव नहीं करवाए जा सकते हैं। अभी परिसीमन की अधिसूचना जारी नहीं हुई है। सरकार नए परिसीमन से पंचायतों और निकायेां के चुनाव कराना चाहती है और इसकी प्रक्रिया लगभग पूरी भी हो गई है, लेकिन अधिसूचना जारी नहीं हुई है। हालांकि बताया जा रहा है कि पंचायत परिसीमन की अधिसूचना तो दो-तीन दिन में जारी भी कर दी जाएगी। वहीं निकायों की अधिसूचना भी जल्द जारी होने की सम्भावना है।

हाईकोर्ट की खंडपीठ में निर्णय रिजर्व
राज्य निर्वाचन आयोग ने उच्च न्यायालय की एकलपीठ द्वारा की गई टिप्पणी को आधार बना कर मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव तथा परिसीमन को लेकर हाईकोर्ट की ही खंडपीठ सुनवाई पूरी कर चुकी है और इस पर अभी फैसला रिजर्व रखा हुआ है।

ओबीसी कमीशन की रिपोर्ट जरूरी
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार पंचायतो और निकाय चुनावों ओबीसी आरक्षण के लिए राज्य ओबीसी कमीशन की रिपोर्ट जरूरी है। इसके बिना चुनाव नहीं कराए जा सकते। राज्य ओबीसी कमीशन हालांकि गठित तो पहले ही कर दिया गया था, लेकिन इसने अपना काम हाल में शुरू किया है और सरकार ने इसका कार्यकाल 31 दिसम्बर तक बढा दिया है। ऐसे में जब तक इसकी रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक चुनाव नहीं कराए जा सकते। बताया जा रहा है कि कमीशन ने इस बारे में राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र भी लिखा है।

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