राजस्थान में पंचायती राज ढांचे का सबसे बड़ा पुनर्गठन हुआ पूरा

राजस्थान में पंचायती राज ढांचे का सबसे बड़ा पुनर्गठन पूरा हो गया है। जिला परिषदों के गठन के बाद अब राज्य सरकार ने पंचायत समिति और ग्राम पंचायत स्तर पर भी व्यापक बदलाव किए हैं। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग की ओर से शुक्रवार को जारी अधिसूचना के अनुसार प्रदेश में करीब 85 नई पंचायत समितियां और लगभग 3440 नई ग्राम पंचायतें बनाई गई हैं।
इसके बाद पंचायत समितियों की संख्या 352 से बढ़कर 437 और ग्राम पंचायतों की 11341 से बढ़कर 14781 हो गई है। यह अब तक का सबसे बड़ा विस्तार है। नई सीमाएं लागू होने के साथ ही सरपंच, उपसरपंच और वार्ड पंचों के हजारों नए पद सृजित होंगे। आगामी पंचायत चुनाव भी इन्हीं नई परिसीमन सीमाओं में होंगे। जिला परिषदों की संख्या दो दिन पहले ही 33 से बढ़ाकर 41 कर दी गई है।
राज्य सरकार ने यह प्रक्रिया एक वर्ष पहले शुरू की थी। जिलों से मिले प्रस्तावों और प्राप्त आपत्तियों के निस्तारण के बाद अंतिम अधिसूचना जारी हुई है। रेगिस्तानी जिले बाड़मेर, जैसलमेर, चौहटन, फलोदी, बीकानेर और चूरू में क्षेत्रफल व आबादी के आधार पर मापदंडों में दी गई छूट के कारण नई पंचायतों की संख्या सबसे अधिक रही।
नई पंचायतों के गठन से प्रशासनिक पहुंच गांवों तक आसान होगी और केंद्र व राज्य योजनाओं के क्रियान्वयन में भी गति आएगी। हाईकोर्ट द्वारा पंचायत चुनावों के लिए 15 अप्रेल तक की समय-सीमा तय किए जाने के बाद अधिसूचना जारी होने से चुनाव प्रक्रिया में देरी की आशंका कम हो गई है।
छोटे गांवों को बड़ी राहत: घर के पास ही पंचायत मुख्यालय
नई पंचायतों से दूरदराज और रेगिस्तानी क्षेत्रों के निवासियों को राहत मिलेगी। पहले एक पंचायत में 3-4 गांव शामिल होने से लोगों को राशन, प्रमाण-पत्र और सामाजिक योजनाओं से जुड़े कामों के लिए कई किलोमीटर दूर मुख्यालय जाना पड़ता था। अब क्षेत्र छोटे होने से समय और खर्च दोनों कम होंगे और पंचायत प्रशासन अधिक सक्रिय व जवाबदेह होगा।
इतने बड़े ढांचे के लिए संसाधन जुटाना चुनौती
लगभग 3440 नई ग्राम पंचायतें बनने के बाद राज्य सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती इनके लिए आवश्यक संसाधन और स्टाफ को लेकर होगी। हर नई पंचायत में ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम सचिव, पंचायत सहायक, पटवारी और अन्य स्टाफ की जरूरत होगी। भवन, कार्यालय, आईटी उपकरण, प्रशिक्षण और प्रबंधन पर अतिरिक्त भार आएगा। अधिक पंचायतों का मतलब अधिक फंडिंग और बढ़ी हुई प्रशासनिक जिम्मेदारियां होंगी, जिससे सरकार पर वित्तीय भार बढ़ेगा।
नया राजनीतिक गणित: नए चेहरे, नई प्रतिस्पर्धा
पुनर्गठन के बाद स्थानीय राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। नई पंचायतों वाले इलाकों में नए शक्ति केंद्र उभरेंगे। महिलाओं और युवाओं के लिए अधिक आरक्षित सीटें बनने से नेतृत्व के नए अवसर तैयार होंगे। नई पंचायतों में सरपंच, उपसरपंच और वार्ड पंच के नए पद बनने से स्थानीय नेतृत्व का दायरा बढ़ेगा। राजनीतिक दलों को भी अपने संगठन और रणनीतियों में बदलाव करना होगा।
रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे
नई पंचायतों के साथ प्रदेश में हजारों नए पद सृजित होंगे। ग्राम सचिव, पंचायत सहायक, कंप्यूटर ऑपरेटर और अन्य कार्मिकों की मांग बढ़ेगी। नई भर्तियों में पदों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी, जिससे ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे।





