योगी के पास ‘केंद्र में मोदी और प्रदेश में योगी’ के नारे को चरितार्थ करने का मौका –

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। गोरक्षपीठ के महंत और सांसद योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद परीक्षा देनी होगी। केंद्र में मोदी, प्रदेश में योगी का नारा यूं ही नहीं गूंज रहा है।
दरअसल, आमजन योगी से भी अपेक्षा कर रहा है कि वह मोदी की तरह सुशासन के साथ विकास की राह प्रशस्त करें। योगी आदित्यनाथ की प्रचंड हिन्दूवादी छवि है लेकिन, बतौर मुख्यमंत्री हर वर्ग की उनसे अपेक्षाएं हैं। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सबका साथ-सबका विकास का नारा दिया तो उनके पीछे एक कारवां बनता गया। ऐसी ही उम्मीद योगी के साथ जगी है। हिन्दुत्व को विकास का पर्याय बताने वाले योगी पर प्रदेश के विकास का दारोमदार आ गया है। 
शपथ लेने के बाद आज पहली कैबिनेट की बैठक में ही तय हो जाएगा कि योगी सरकार का रुख क्या है। वैसे तो कई प्राथमिकताएं साफ हैं और योगी इसके लिए पहले से भी सक्रिय दिखते रहे हैं। मसलन अवैध कत्लखानों के खिलाफ उनका तेवर हमेशा बना रहा और किसानों के दुख-दर्द पर उनकी मानवीय संवेदना बराबर झलकती रही। पहली ही कैबिनेट की बैठक में किसानों की कर्ज माफी का मोदी ने एलान किया था। जाहिर है कि योगी से सूबे के किसानों की यह उम्मीद और बढ़ गयी है। मोदी के मंसूबों को आयाम देने की आकांक्षा पाले मतदाता अब योगी से आस लगाये हैं कि किसानों का भला होगा। बाढ़ बचाव और पशुपालन पर भी उनसे अपेक्षा बढ़ी है क्योंकि इन दोनों मुद्दों पर वह अब तक सड़क से लेकर संसद तक जूझते रहे हैं। पुलिस तंत्र में सुधार के लिए भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में एलान किया है। मुख्यमंत्री के लिए मनोनीत होने के बाद योगी ने प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पंडा और डीजीपी जावीद अहमद से संक्षिप्त बैठकर में अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। विकास मोदी का सबसे बड़ा एजेंडा है। मोदी भ्रष्टाचार को विकास में सबसे बड़ा अवरोधक मानते हैं। योगी ने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ बराबर हमला बोला है। वह अपने इस जज्बे को बतौर मुख्यमंत्री कितना प्रभावी रूप देंगे, यह अहम विषय है। वैसे योगी को उप्र में मोदी के रूप में देखने की अपेक्षा बढ़ गयी है
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