योगी आदित्यनाथ बतौर सांसद बदलना चाहते थे देश का नाम, और भी थीं कई इच्छाएं
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1998 से लगातार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में वह यहीं से सांसद चुने गए थे। वह हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, जो हिन्दू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है। शायद यही वजह रही कि योगी आदित्यनाथ चाहते हैं भारत को इंडिया नहीं हिंदुस्तान कहा जाए।
योगी आदित्यनाथ ने सांसद रहते हुए पिछले दो साल में पांच प्राइवेट मेंबर बिल प्रस्तुत कर चुके हैं। इनमें से से पहला बिल उन्होंने जो प्रस्तुत किया, उसमें मांग की गई कि देश को इंडिया नहीं, बल्कि हिंदुस्तान नाम से पुकारा जाए। इसके लिए संविधान में बदलाव किया जाए। दूसरे बिल में योगी आदित्यनाथ ने ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ की मांग की थी। समान नागरिक संहिता के लिए उनका विधेयक संविधान के अनुच्छेद 44 को हटाने की मांग करता है।
योगी आदित्यनाथ ने अपने तीसरे प्राइवेट बिल में देशभर में गौहत्या पर बैन लगाने की मांग की गई थी। बता दें कि योगी का कोई भी विधेयक अभी तक पास नहीं हो सका है। लेकिन उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनते ही बूचड़खानों पर ताले लगने शुरू हो गए हैं। इलाहाबाद में दो बूचड़खाने को सील कर दिया गया है।
चौथा बिल जबरन धर्मांतरण पर बैन और पांचवां बिल उनके संसदीय क्षेत्र (गोरखपुर) में इलाहाबाद हाई कोर्ट की स्थायी बेंच बनाने पर केंद्रित था। सदन में अंतिम दो विधेयक अभी पेश किए जाने हैं। योगी का कोई भी विधेयक अभी तक पास नहीं हो सका है। लेकिन योगी की कोशिश जारी है।
वहीं योगी आदित्यनाथ बतौर सांसद संविधान की आठवीं अनुसूची में भोजपुरी का समावेश, गोरखपुर में एम्स बनाने की मांग, आमी नदी नें प्रदूषण, इन्सेफ्लाइटिस जैसे कई मुद्दे उठा चुके हैं। वह कई बार पूर्वांचल को अलग राज्य बनाने की मांग दोहराते रहे हैं। अब देखते हैं कि बतौर मुख्यमंत्री वह अपनी कितनी इच्छाओं को पूरा कर पाते हैं।